उत्तराखंड। इस बार धनतेरस पर खरीदारी और पूजा-अर्चना के लिए कई शुभ और विशेष फल देने वाले मुहूर्त बन रहे हैं। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि, मंगलवार दो नवंबर को धनतेरस व चार नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी। धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर, माता लक्ष्मी के साथ आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि की पूजा विधि-विधान से की जाएगी। धनतेरस मंगलवार को है। यह पर्व हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन से पांच दिवसीय दिवाली के त्योहार की शुरुआत हो जाती है। त्रयोदशी तिथि के दिन ही भगवान धनवंतरि का जन्म हुआ था। इसलिए इस पर्व को धनतेरस कहा जाता है। इस दिन भगवान धनवंतरि के साथ माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। भगवान धनवंतरि जब प्रकट हुए थे, तब उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था। इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा चली आ रही है। ज्योतिषाचार्य विकास जोशी ने बताया कि इस दिन झाड़ू की खरीदारी करने से दरिद्रता का नाश होता है। साथ ही समृद्धि आती है। तिल तेल का दीपक घर के बाहर दक्षिण मुख रखने से काल संकट, रोग, शोक, भय, दुर्घटना, अकाल मृत्यु से बचाव होता है। भारतीय प्राच्य विद्या सोसाइटी के प्रतीक मिश्रपुरी की मानें तो धनतेरस पर ग्रह गोचरों का शुभ संयोग बनने के कारण पूरे दिन खरीदारी कर सकते हैं। धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है। इसे धन योग भी कहते हैं। ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी ने बताया कि ज्योतिषशास्त्र अनुसार इस योग में जो भी कार्य करते हैं, उसका तिगुना फल प्राप्त होता है। धन का निवेश करने से तीन गुणा लाभ हो सकता है। शेयर बाजार में निवेश करके भी इस दौरान लाभ अर्जित होगा। स्वर्ण और चांदी धातु में निवेश करना भी शुभ होगा।