Up news: योगी सरकार को प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के विलय के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाई कोर्ट ने 50 से कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक स्कूलों का नजदीकी उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विलय करने के सरकार के फैसले को संवैधानिक और जनहित में बताया है. अदालत का यह फैसला योगी सरकार की शिक्षा गुणवत्ता सुधार की नीति को न्यायिक स्वीकृति मिलने जैसा है. बता दें कि शिक्षक संघ और समाजवादी पार्टी तथा बहुजन समाज पार्टी सहित विपक्षी दलों ने राज्य सरकार की स्कूल विलय योजना का विरोध किया था, लेकिन योगी सरकार अपने निर्णय पर अडिग रही.
उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में विलय करने का प्रावधान
न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने सीतापुर के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले 51 बच्चों समेत एक अन्य याचिका पर यह फैसला सुनाया. इनमें बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा बीती 16 जून को जारी उस आदेश को चुनौती देकर रद्द करने का आग्रह किया गया था, जिसके तहत प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों की संख्या के आधार पर उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में विलय करने का प्रावधान किया गया है.
शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिहाज से लिया गया निर्णय
कहा कि ऐसे स्कूलों का पास के स्कूलों में विलय करके शिक्षकों और अन्य सुविधाओं का बेहतर उपयोग किया जाएगा. सरकार ने पूरी तरह शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिहाज से ऐसे स्कूलों के विलय का निर्णय लिया. कोर्ट ने बीते शुक्रवार को सुनवाई के बाद में फैसला सुरक्षित कर लिया था. इसे सोमवार की दोपहर में सुनाया.
याचिकाकर्ताओं की दलीलें
याचिकाकर्ताओं ने विलय के इस आदेश को बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा कानून (RTE) के प्रावधानों का उल्लंघन बताया था. उनकी मुख्य दलील थी कि सरकार का यह फैसला 6 से 14 साल के बच्चों के मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा के अधिकार का हनन करता है. इसके साथ ही, याचिकाकर्ताओं ने मर्जर के बाद छोटे बच्चों के लिए स्कूल की दूरी बढ़ने से होने वाली परेशानियों का मुद्दा भी उठाया था.
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