चीन से संबंध सामान्य नहीं, वह लगातार सीमा पर करता रहता है उल्लंघन:विदेश मंत्री एस जयशंकर

नई दिल्‍ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि सभी देशों के साथ उसके संबंध बिना किसी शर्तों के आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि हाल ही में चीन ने भारत के साथ सीमा समझौतों की अवहेलना की, जिससे द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि स्थायी संबंध एकतरफा नहीं हो सकते है और इसमें परस्पर सम्मान होना चाहिए।

सेंटो डोमिंगो की यात्रा पर विदेश मंत्री

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर सेंटो डोमिंगो की यात्रा पर पहुंच हुए हैं। डोमिनिकन गणराज्य देश की यह उनकी पहली आधिकारिक यात्रा है। वहीं, विदेश मंत्री ने आज देश के उपराष्ट्रपति रकील पेना के साथ डोमिनिकन गणराज्य में भारत के दूतावास का उद्घाटन किया है। उद्घाटन समारोह के दौरान वहां डोमिनिकन के उपराष्ट्रपति समेत कई नेता मौजूद रहे थे।

डोमिनिकन गणराज्य के राजनयिक स्कूल के बच्चों से शुक्रवार को बातचीत करते हुए भारत के विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ने पूरे क्षेत्र में कनेक्टिविटी, संपर्क और सहयोग में बड़े पैमाने पर विस्तार देखा है। हालांकि, सीमा पार आतंकवाद के मद्देनजर पाकिस्तान इसका अपवाद बना हुआ है।

विदेश मंत्री ने कहा कि अधिकतर देशों से भारत का संबंध अच्छे हैं। चाहे वह अमेरिका, यूरोप, रूस या जापान हो हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि ये सभी संबंध बिना किसी शर्त पर आगे बढ़ें। उन्‍होंने कहा कि चीन से वर्तमान में हमारे संबंध सामान्य नहीं हैं क्योंकि वह लगातार सीमा पर उल्लंघन करता रहता है।

गौरतलब है, भारत पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन द्वारा बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती और उसके आक्रामक व्यवहार की आलोचना करता रहा है, जो सीमा प्रबंधन पर समझौते का उल्लंघन है।

पूर्वी लद्दाख में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच लंबे समय से गतिरोध बना हुआ है। पैंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़प के बाद पांच मई, 2020 को हुए गतिरोध का समाधान करने के लिए दोनों पक्षों ने अब तक कोर कमांडर स्तर की 16 दौर की वार्ता की है। वर्ष 2009 से 2013 तक चीन में भारत के राजदूत रहे एस जयशंकर ने कहा कि संबंध एकतरफा नहीं हो सकते और इसे बनाए रखने के लिए परस्पर सम्मान होना चाहिए।

50 अरब डॉलर के करीब व्यापार

इससे पहले जयशंकर ने गुरुवार को कोलंबिया में कहा, भारत लैटिन अमेरिका के साथ अपना व्यापार बढ़ाना चाहता है जो 50 अरब डॉलर के करीब पहुंच रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि खनन, ऊर्जा, कृषि और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में निवेश में अच्छी खासी ग्रोथ से इसे और बढ़ावा मिलेगा।

लैटिन अमेरिका के चार देशों की यात्रा पर

कोलंबिया की राजधानी में भारत-कोलंबिया बिजनेस फोरम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि लैटिन अमेरिका के चार देशों की उनकी यात्रा का उद्देश्य क्षेत्र के साथ भारत के सहयोग के स्तर को और अच्छा करना है। उन्होंने कहा कि आज यहां आने का हमारा उद्देश्य लैटिन अमेरिका में भारत की बढ़ती उपस्थिति को उजागर करना है। हमारे बीच व्यापार सालाना 50 अरब डालर तक पहुंच रहा है। हमारी कंपनियां ऊर्जा, खनन से लेकर कृषि व ऑटो क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियां लैटिन अमेरिका में परियोजनाओं को क्रियान्वित कर रही हैं, जिसमें बुनियादी ढांचा, बिजली पारेषण और खनन शामिल हैं। साथ ही शिपिंग और विमानन क्षेत्र में भी उत्पाद वितरित कर रहे हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि हमारा व्यापार का संबंध है। हम स्वाभाविक रूप से इसका विस्तार करना चाहते हैं।

महामारी के दौरान भारत ने साबित किया कि यह दुनिया की फार्मेसी है

जयशंकर ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने लगभग 100 देशों को टीके और 150 देशों सहित विकसित देशों को दवाओं की आपूर्ति करके सही मायने में स्थापित किया कि यह दुनिया की फार्मेसी है। उन्होंने कहा कि तथ्य यह है कि कोविड-19 ने हम सभी को स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक बनाया है, लेकिन आपूर्ति श्रृंखला की कमजोरियों के बारे में भी जागरूक किया है। लागत भी एक प्रासंगिक कारक है। यदि हम अधिक स्रोतों, क्षेत्रीय उत्पादन और प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण को देख रहे हैं, तो मैं कोलम्बियाई दोस्तों  को सुझाव दूंगा कि भारतीय उद्योग आपका स्वाभाविक भागीदार है।

भारत और कोलंबिया के बीच जुड़ते संबंधों पर जयशंकर ने कहा कि भारत में एक पारंपरिक चिकित्सा और कल्याण प्रथा भी है, जिसके मजबूत व्यावसायिक प्रभाव हो सकते हैं। गौरतलब है, जयशंकर गुयाना, पनामा, कोलंबिया और डोमिनिकन गणराज्य की नौ दिवसीय यात्रा पर हैं। विदेश मंत्री के रूप में इन लैटिन अमेरिकी देशों और कैरेबियाई देशों की उनकी पहली यात्रा है।

 

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