नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति के घटकर के दर को बेहद ही संतोषजनक बताया। वही आरबीआर्इ ने कहा कि इस गिरावट से मौद्रिक नीति की दिशा सही दिशा में होने की उम्मीद है। वहीं जानकारी के लिए बता दें कि राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल महीने में खाद्य उत्पादों के दाम घटने से खुदरा मुद्रास्फीति 18 महीनों के निचले स्तर 4.7 प्रतिशत पर आ गई। यह अक्टूबर 2021 के बाद का सबसे निचला स्तर है।
आरबीआई गवर्नर ने मुद्रास्फीति आंकड़े पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह बेहद संतोषजनक है। इससे भरोसा पैदा होता है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति सही रास्ते पर है।” सरकार ने आरबीआई को यह जिम्मेदारी दी हुई है कि मुद्रास्फीति को 4 फीसदी तक सीमित रखा जाए। जबकि इसमें 2 फीसदी की घटत या बढ़त हो सकती है। अर्थात महंगाई दर 2 से 6 फीसदी के अंदर रहना चाहिए।
क्या ब्याज दरों में मिलेगी राहत?
बता दें कि मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए आरबीआई ने पिछले एक वर्ष में नीतिगत ब्याज दर में कई बार बढ़ोतरी करते हुए 6.5 प्रतिशत तक पहुंचा दिया। हालांकि, अप्रैल में हुई पिछली मौद्रिक समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने रेपो दर में बढ़ोतरी नहीं की थी। आरबीआई गवर्नर से जब यह पूछा गया कि मुद्रास्फीति के 4.7 प्रतिशत पर आने से क्या आरबीआई ब्याज दर को लेकर अपना नीतिगत रुख बदलेगा तो उन्होंने कोई सीधा जवाब न देते हुए कहा कि आठ जून को अगली समीक्षा बैठक के बाद सब कुछ साफ हो जाएगा।
जीडीपी का क्या हाल?
दरसल, आरबीआई गवर्नर ने यह भरोसा जताया कि केंद्रीय बैंक को चालू वित्त वर्ष में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने की पूरी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि भारत अगर 6.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि करता है तो वह वैश्विक वृद्धि में 15 प्रतिशत अंशदान करेगा। नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत की किताब ‘मेड इन इंडिया’ के विमोचन कार्यक्रम में दास ने कहा कि निजी निवेश में भी तेजी देखी जा रही है। इसके लिए उन्होंने खास तौर पर इस्पात, सीमेंट एवं पेट्रोकेमिकल क्षेत्रों का उदाहरण दिया। उन्होने कहा कि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में रिसर्च और डेवलपमेंट पर खर्च बढ़ाये जानें की जरूरत है। इसके साथ ही उन्होने सुधार को बनाए रखने बौर सबसे बेहतर टेक्नालॉजी को अपनाने पर जोर दिया।