Hariyali Teej & Hartalika Teej: हरियाली तीज और हरतालिका तीज में क्या है अंतर? जानें दोनों का विशेष महत्व

Hariyali Teej & Hartalika Teej : हिंदू पंचाग के मुताबिक, श्रावण मास में हरियाली अमावस्या की शुक्ल पक्ष की तीज को हरियाली तीज कहा जाता है. जबकि भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तीज के दिन हरतालिका तीज का त्योहार मनाया जाता है. माना जाता है कि ये दोनों ही व्रत माता पार्वती से जुड़े हुए हैं. इन दोनों व्रतो के दौरान महिलाएं माता पार्वती का पूजन अर्चन करती हैं.

हरियाली त्योहार का यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन के उपलक्ष में मनाया जाता है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, इस दिन मां पार्वती ने भगवान शिव की तपस्या में 107 जन्म बिताने के बाद उन्हें अपने पति के रूप में पाया था.

हरियाली तीज और हरितालिका तीज में अंतर
  • हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तीज को आती है, जबकि हरितालिका तीज का व्रत भाद्रपद शुक्ल तीज को रखा जाता है. हरियाली तीज के दिन महिलाएं सामान्य व्रत रखती हैं. जबकि हरतालिका तीज के दिन सुहागन स्त्रियां कड़ा व्रत करती हैं जिसके नियम भी कड़े होते हैं.
  • हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, माता पार्वती के व्रत की शुरुआत हरियाली से शुरू होकर हरितालिका तीज को समाप्त होती है. हरियाली तीज के दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती है.
  • हरियाली तीज के दिन आपने अनेकों स्थानों पर मेले लगे हुए देखे होंगे जिस दिन धूमधाम के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की सवारी निकाली जाती है. जबकि हरतालिका तीज में ऐसा कुछ भी नहीं होता है.
  • हरियाली तीज भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की याद में मनाया जाता है. जबकि सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखंड बनाए रखने के लिए हरतालिका तीज का कठिन व्रत करती है.
  • कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए वन में घोर तप किया था, और वहां बालू के शिवलिंग बनाकर उसका पूजन किया. जिससे प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें वरदान दिया और बाद में राजा हिमालय ने भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह कराया था. माता पार्वती ने जब यह व्रत किया था, तब भाद्रपद की तिथि का हस्त नक्षत्र था.

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