Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि मानव में दोष होते हैं-जीवन तो प्रभु का प्रसाद है, प्रभु का वरदान है. एक संत का जन्मदिन था, तब संत ने भक्तों से कहा कि- आज मेरा जन्मदिन है. आप सबसे कुछ उपहार लेने का प्रसंग है. मैं आप सभी से यह मांगता हूं कि मैं आप सबका केवल भाई हूं और मुझे भाई ही रहने दीजियेगा, भगवान कभी मत समझना, नहीं तो बड़ी विकट स्थिति पैदा होगी.
जैसा कि किसी कवि ने लिखा है- देखते देखते स्वयं भगवान बन बैठे. यहां तो बरसों बीते मानव को मानव होने में..और जिसको आप भगवान मानते हैं उनकी कमियां आप सह नहीं सकते क्योंकि भगवान में कैसी कमी? दोष वाले, अपूर्ण, भगवान हो ही नहीं सकते. परमात्मा पूर्ण ही होता है. जब आप कमियां सह नहीं पायेंगे तब आपकी श्रद्धा खंड-खंड हो बिखर जायेगी. आपको इतना गहरा धक्का लगेगा कि हो सकता है आप धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र से दूर हो जाओ, नास्तिक बन जाओ. इसलिए किसी भी काम में जल्दबाजी नहीं करना.मानव हैं हम सब, इससे आगे कुछ नहीं. जिसको आप ऊंचे आसन पर बिठाते हैं उसके विषय में यह बात भी सोचो कि वह हमारी तरह एक इंसान ही है और उसमें भी कमियां हो सकती हैं.
हमारे ऋषि-मुनि बड़े वास्त्ववादी थे. जब शिष्यों की शिक्षा पूर्ण होती थी और शिष्य अपने स्थान पर वापस जाते थे तब गुरुजी उनसे कहते थे- बालक! तुम अपना विद्याभ्यास पूर्ण करके जा रहे हो, मुझे वंदन कर रहे हो, ठीक है लेकिन परमात्मा के सिवा कोई पूर्ण नहीं है. मेरे साथ रहकर तुमने मेरी कुछ कमियां देखी होगी, वे मेरी कमजोरियां हैं.
मुझमें भी दोष हैं और मैं अपने दोषों को, कमियों को दूर नहीं कर सका. लेकिन तुम उन दुर्गुणों से,दोषों से, व्यसनों से बचकर रहना. अपनी कमियों को स्वीकारने वाले ये महात्मा कितने महान और वस्त्ववादी थे. मैं आपसे निवेदन पूर्वक कहता हूं कि मैं तो आपका भाई हूं और मुझे भाई ही रहने दीजिएगा. मैं सदैव आप सबका बनकर रहना चाहता हूं. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).