CRISIL Report: महंगाई को बढ़ाने और घटाने में अहम भूमिका निभाने वाली सब्जियों के कीमतों में जून तक कोई राहत मिलती हुई नजर नहीं आ रही है. इन दिनों का बढ़ता तापमान सब्जियों के ऊंची कीमतों कारण बना हुआ है. तापमान का सामान्य से अधिक होना सब्जी उत्पादकों और उपभोक्ताओं के लिए चुनौती बनती जा रही है.
एक रिपोर्ट (CRISIL Report) के मुताबिक, मौसम के अनियमित पैटर्न के साथ ही पर्यावरण संबंधी अन्य कारक सब्जियों की कीमतों को प्रभावित कर रहे हैं. इनके जल्द खराब होने की प्रवृत्ति भी बफर स्टॉक बनाने और आयात जैसे विभिन्न उपायों के माध्यम से कीमतों को नीचे लाने के प्रयास को सीमित कर रही हैं.
इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि वर्ष 2023-24 में खाद्य महंगाई बढ़ाने में सब्जियों का करीब 30 प्रतिशत योगदान था. यह उनकी 15.5 फीसदी की सामान्य हिस्सेदारी से ज्यादा है.
CRISIL: कीटों की समस्या उत्पादन को कर रहा प्रभावित
दरअसल, भारत जलवायु दृष्टि से सर्वाधिक प्रभावित होने वाला देश है. यहां लू, बाढ़ और तूफान जैसे मौसमी कारकों से सब्जियों के उत्पादन एवं कीमतों के मोर्चे पर अधिक जोखिम बढ़ रहा है. इसके साथ ही बढता तापमान भी कीटों की समस्या को बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. जिसके चलते सब्जियों के उत्पादन व कीमतें अधिक प्रभावित हो रही हैं.
42 फीसदी तक महंगे प्याज-टमाटर
क्रिसिल (CRISIL) ने बताया कि वर्ष 2023-24 के दौरान देश में सब्जियों की कीमतें उच्च स्तर पर पहुंच गईं. टमाटर व प्याज की कीमतों ने उपभोक्ताओं का बजट बिगाड़कर रख दिया है. वहीं, लहसुन, अदरक, बैंगन, परवल और बींस सहित अन्य सब्जियों के दामों में भी तेजी से उछाल आ रहा है. उपभोक्ता मंत्रालय के अनुसार, खुदरा बाजार में टमाटर, प्याज और आलू की कीमतें एक साल में 42 फीसदी तक बढ़ी हैं.
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