ज्ञानयज्ञ है सबसे बड़ा परमार्थ: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। किसी वस्तु को प्राप्त करना दुर्लभ है। प्रारब्ध और पुरुषार्थ से कुछ भी प्राप्त होता…

भागवत कथा सुनने के बाद भगवान से करनी चाहिए प्रार्थना: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। श्रीकृष्ण के सखा सुदामा बड़े त्यागी, तपस्वी, अपने नित्य धर्म में लगे रहते थे। वेद…

मूल वेदों में है भगवान की सभी लीलाएं: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। भगवान नारायण ने तीन पग में संपूर्ण ब्रह्मांड नाप लिया। भगवान् इसको चरितार्थ करने के…

भगवान के लिए किया गया कार्य ही है भक्ति: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। भक्ति कैसे करें? जो कर रहे हो वही करना है, लेकिन जो संसार के लिए…

भगवान की कथा में रुचि है समस्त सत्कर्मों का फल: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। मनुष्य जो अपने जीवन में धर्मानुष्ठान करता है। दान,यज्ञ,तप, तीर्थयात्रा, इन सारे कर्मों का फल…

जीवन में नीति की होनी चाहिए प्रधानता: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। स्वायंभूमनु के पुत्र उत्तानपाद जी महाराज, उत्तानपाद जी के दो पत्नियां थी सुनीति और सुरुचि।…

कथा सुनने से हृदय में स्थिर होती है भगवान की भक्ति: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। प्रथम स्कंध में सत्य स्वरूप परमात्मा को प्रणाम किया गया है। श्रीमद्भागवत महापुराण में निष्कपट…

भागवत भगवान की है शब्द मई मूर्ति: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। श्रीमद्भागवतमहापुराण माहात्म्या श्रीमद्भागवत महापुराण भगवान् श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है। भागवत में और भगवान् में…

जीवन में एक बार जरुर करनी चाहिए चार धाम यात्रा: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। अगर मनुष्य जीवन मिला है तो कम से कम एक बार चारों धाम की यात्रा…

जल ही है प्राण: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। जल हमारे जीवन के लिये अति आवश्यक है। जल ही जीवन है। जल ही प्राण…