FIDE: महिला शतरंज विश्व कप के फाइनल मुकाबले में दिव्या देशमुख ने ग्रैंडमास्टर और कोनेरू हम्पी को हराकर खिताब अपने नाम कर लिया. वह फिडे महिला शतरंज विश्व कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं. कोनेरू हम्पी के पास वापसी का एक छोटा सा मौका था, लेकिन वह इसका फायदा नहीं उठा सकीं. दिव्या ने काले मोहरों पर एक शानदार जीत दर्ज की.
भारत ने रचा नया चेस इतिहास
FIDE वर्ल्ड कप 2025 में भारत की दो खिलाड़ियों ने चीन की बादशाहत को चुनौती देते हुए इतिहास रच दिया. नॉकआउट टूर्नामेंट के फाइनल तक पहुंचने के सफर में 38 साल की कोनेरू हंपी और 19 साल की दिव्या देशमुख ने कई शीर्ष चीनी खिलाड़ियों को शिकस्त दी. महिला वर्ग की वर्ल्ड रैंकिंग में चीन के 14 खिलाड़ी टॉप 100 में हैं, जबकि भारत के 9. इसके बावजूद कोनेरू और दिव्या की दमदार जीतों ने दिखा दिया कि अब भारत भी शतरंज की दुनिया में बड़ी ताकत बनकर उभर चुका है.
19 वर्षीय दिव्या बनी चौथी महिला ग्रैंडमास्टर
सोमवार 28 जुलाई को हुए टाईब्रेक मुकाबले में कहानी एकदल पलट गई. दिव्या ने अपनी दोगुनी उम्र की कोनेरू को उनके ही गेम में फंसाया और गलती के लिए मजबूर कर दिया. आखिरकार दिव्या ने टाईब्रेक में जीत दर्ज करते हुए खिताब अपने नाम कर लिया. सिर्फ 19 साल की उम्र में वो ये खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं. इतना ही नहीं, अब वो भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर भी बन जाएंगी. संयोग से ये उपलब्धि उन्होंने भारत की पहली महिला ग्रैंडमास्टर को हराकर ही हासिल की है.
इतने रुपए की मिलेगी पुरस्कार राशि
सोमवार को टूर्नामेंट के फाइनल के टाईब्रेक में हमवतन कोनेरू हम्पी को 2.5-1.5 के स्कोर से हराकर पहली भारतीय चैंपियन बनीं. देशमुख को अब लगभग ₹43.23 लाख (50,000 डॉलर) की पुरस्कार राशि मिलेगी, जबकि हम्पी को ₹30.26 लाख (35,000 डॉलर) मिलेंगे.
टाईब्रेकर में कैसे खेला जाता है मैच?
टाई-ब्रेकर में 15-15 मिनट के दो गेम होंगे जिसमें हर चाल के बाद 10 सेकेंड का इजाफा होगा. स्कोर इसके बाद बराबर रहता तो दोनों खिलाड़ियों को 10-10 मिनट प्रति गेम के हिसाब से एक और सेट खेलने का मौका मिलता. इसमें भी हर चाल के बाद 10 सेकेंड का इजाफा होता. दोनों के बीच पहला रैपिड टाईब्रेकर भी ड्रॉ रहा. फिर दूसरे टाईब्रेकर में फैसला आया.
मैच का परिणाम अगर दूसरे टाईब्रेकर में भी नहीं निकलता, तो पांच-पांच मिनट के दो और गेम होते और इसमें हर चाल के बाद तीन सेकेंड की बढ़ोतरी होती. इसके बाद एक गेम का मुकाबला होता जिसमें दोनों खिलाड़ियों को तीन मिनट मिलते और दो सेकंड का इजाफा होगा. यह तब तक चलता, जब तक कोई खिलाड़ी विजेता न बना जाए. हालांकि, इसकी नौबत नहीं आई. नागपुर की 19 वर्षीय दिव्या अब खिताब जीतकर ग्रैंडमास्टर बन चुकी हैं.
खिताबी जीत के बाद भावुक हुईं दिव्या
दिव्या देशमुख अपनी जीत के बाद कहा, ‘मुझे इसे समझने के लिए समय चाहिए. मुझे लगता है कि यह किस्मत की बात थी कि मुझे इस तरह ग्रैंडमास्टर का खिताब मिला. इस टूर्नामेंट से पहले मेरे पास एक भी मानक नहीं था. यह वाकई बहुत मायने रखता है. अभी बहुत कुछ हासिल करना बाकी है. मुझे उम्मीद है कि यह तो बस शुरुआत है’.इस जीत के बाद दिव्या अपनी माँ के साथ जश्न मनाते हुए वह भावुक और उनकी आंखें आंसुओं से भरी हुई दिखीं.
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