Geeta Updesh: गीता के ये अनमोल उपदेश, जीवन को दिखाते हैं नई राह

Geeta Updesh In Hindi:  श्री मद्भागवतगीता उपनिषदों का सार है। महाभारत युद्ध के समय रणभूमि में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान दिया था वह गीता में बताया गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के माध्यम से संसार को गीता का उपदेश दिया था। कृष्ण ने अर्जुन को गीता का पाठ तब पढ़ाया था, जब उनके कदम युद्ध भूमि में डगमगाने लगे थे। तब श्री कृष्ण के उपदेशों को सुनकर अर्जुन अपने लक्ष्य को पूरा करने की ओर अग्रसर हुए। गीता में ऐसी बहुत सी बातें हैं जो मनुष्य को जीवन की कई कठिनाइयों को आसान बनाती है। इतना ही नहीं गीता पढ़ने पर मनुष्य को बहुत सी नई जानकारियां भी मिलती है।  ऐसे में किसी भी परेशानी का हल पाने और जीवन में सफलता पाने के लिए गीता की कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति गीता की इन बातों का जीवन में अनुसरण कर लेता है, वह हर काम में जरूर सफलता हासिल कर लेता है। ये रहे गीता के अनमोल उपदेश, जो जीवन को नई राह दिखाते हैं…

फल की इच्छा छोड़ कर्म पर ध्यान देना चाहिए 
गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि मनुष्य को फल की इच्छा छोड़कर कर्म पर ध्यान देना चाहिए। मनुष्य जैसा कर्म करता है, उसे फल भी उसी के अनुरूप मिलता है। इसलिए व्यक्ति को अच्छे कर्म करते रहना चाहिए।

स्वयं का आकलन
गीता में श्रीकृष्ण कहते है कि व्यक्ति को खुद से बेहतर कोई नहीं जान सकता, इसलिए स्वयं का आकलन करना बेहद जरूरी है। गीता में कहा गया है कि जो व्यक्ति अपने गुणों और कमियों को जान लेता है वह अपने व्यक्तित्व का निर्माण करके हर काम में सफलता प्राप्त कर सकता है।

मन पर नियंत्रण
गीता में बताया गया है कि हमारा मन ही हमारे दुखों का कारण होता है। श्रीकृष्ण कहते है कि जिस व्यक्ति ने अपने मन पर काबू पा लिया वह मन में पैदा होने वाली बेकार की चिंताओं और इच्छाओं से भी दूर रहता है। साथ ही व्यक्ति को अपने लक्ष्य को भी आसानी से प्राप्त कर लेता है।

क्रोध पर काबू रखें
क्रोध में व्यक्ति नियंत्रण खो बैठता है और आवेश में आकर गलत कार्य कर देता है। यहां तक कि कभी-कभी गुस्से में व्यक्ति खुद का अहित कर बैठता है। गीता में श्रीकृष्ण ने बताया है कि क्रोध को खुद पर हावी नहीं होने देना चाहिए। यदि गुस्सा आए तो स्वयं को शांत रखने का प्रयास करें।

स्पष्ट नजरिया
गीता में श्रीकृष्‍ण बताते है कि व्यक्ति को संदेह या संशय की स्थिति में नहीं रहना चाहिए, जो लोग संशय की स्थिति में रहते हैं, उनका भला नहीं हो सकता है। जीवन में स्पष्ट नजरिया होना चाहिए।

 

 

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