Physical Activity: दर्द नही होता बर्दाश्त, तो हो जाइए शीरीरिक तौर पर एक्टिव

Easy way to relieve pain: आमतौर पर सभी लोगों के शरीर में कभी न कभी दर्द तो हुआ ही होगा। किसी को चोट लगने से तो किसी को उम्र के कारण कमर व घुटनों में दर्द सहना ही पड़ा होगा। लेकिन एक रिपाकट्र के मुाबिक बताया गया कि चोटशारीरिक गतिविधि और दर्द सहन करने की क्षमता के बीच गहरा संबंध होता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग पहले शारीरिक तौर पर ज्यादा एक्टिव  नहीं थे बाद में उनके एक्टिव होने पर दर्द सहन करने की क्षमता बढ़ गई।

आपको बता दें कि खेल और सैन्य सहित कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां इंसान की शारीरिक क्षमता के साथ दर्द सहने की क्षमता का भी बहुत महत्व होता है। वहीं, शारीरिक गतिविधियों की आदत उनको लंबे समय के दर्द को रोकने और उसके प्रबंधन में मददगार साबित हो सकती है क्योंकि इससे दर्द सहन करने की क्षमता बढ़ती है। लेकिन कई अध्ययन में शारीरिक गतिविधि और ज्यादा दर्द सहने की क्षमता के बीच गहरे संबंध का खुलासा हुआ है।

इन अध्‍ययनों में बताया गया कि ज्यादा एक्टिव जीवनशैली में गहरे और लंबे दर्द से निपटने की ज्यादा क्षमता होती है।

 

एक आंकड़े के मुताबिक, शोधकर्ताओं को प्रतिभागियों के द्वारा बताए गए शारीरिक गतिविधियों के स्तरों और उनकी दर्द सहने की क्षमता के बारे में जानकारी मिल सकी। हर प्रतिभागी के दर्द सहन करने की क्षमता एक खास टेस्ट से आंकी गई जिसमें उन्हें अपना हाथ ठंडे पानी में डुबोना था जिसका तुलनात्म मापन किया भी किया जा सकता था। दोनों ही चरणों के आंकड़ों के विश्लेषण में सक्रिय जीवनशैली वाले प्रतिभागियों में दर्द सहने की ज्यादा शक्ति पाई गई।

दोनों ही चरणों में जिन लोगों में ज्यादा सक्रियता स्तर थे उनमें ज्यादा दर्द सहनशीलता देखी गई। यहां तक कि पहले प्रतिभागियों ने दूसरे  की तुलना में ज्यादा शारीरिक सक्रियता बताई उनके भी दर्द सहन की क्षमता में इजाफा पाया गया। रोचक तौर से शोध में सक्रियता के स्तरों और दर्द सहनशीलता में बदलावों के बीच संबंध के बारे में कुछ नहीं बताया गया।

 

 

 

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