Sawan Adhik Maas Shivratri: सावन माह की दूसरी शिवरात्रि 14 अगस्त, दिन सोमवार को है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस शिवरात्रि को बहुत खास माना जा रहा है, क्योंकि यह शिवरात्रि सावन अधिक मास में पड़ रही है। इसके साथ ही सावन अधिक मास की शिवरात्रि के दिन सर्वार्थ सिद्धि समेत दो शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन पुनर्वसु तथा पुष्य नक्षत्र रहेंगे। सावन की शिवरात्रि शिव जी के भक्तों के लिए बहुत खास होती है। इस दिन शिवभक्त शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाते हैं। सभी शिवालय हर हर महादेव के नारे से गुंजमान हो जाते है। ज्योतिषशास्त्र की मानें तो सावन शिवरात्रि का व्रत असंभव को संभव करने की क्षमता रखता है। इस दिन देवों के देव महादेव की पूजा करने वालों पर शिव जी की कृपा बरसती है।सावन शिवरात्रि का व्रत असंभव को संभव करने की क्षमता रखता है। इस दिन देवों के देव महादेव की पूजा करने वालों पर शिव जी की कृपा बरसती है। ऐसे में चलिए जानते हैं सावन अधिक मास की शिवरात्रि की पूजा विधि और महत्व…
शिवरात्रि पूजा मुहूर्त
14 अगस्त को सावन शिवरात्रि के दिन शिव जी की पूजा के लिए निशिता मुहूर्त रात 12 बजकर 02 मिनट से देर रात 12 बजकर 48 मिनट तक है। यह शिवरात्रि की निशिता पूजा मुहूर्त है।
मास की शिवरात्रि पर बन रहे दो शुभ योग
14 अगस्त को सावन शिवरात्रि के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और सिद्धि योग बन रहे हैं। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 11 बजकर 07 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 15 अगस्त को सुबह 05 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगा।
वहीं सिद्धि योग की बात करें तो यह योग सुबह से शुरू होकर शाम 04 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा सावन अधिक मास की शिवरात्रि के दिन सुबह से लेकर 11 बजकर 07 मिनट तक पुनर्वसु नक्षत्र है, उसके बाद से पुष्य नक्षत्र शुरू होगा जो पूरी रात है।
शिवरात्रि की पूजा विधि
- सावन माह के शिवरात्रि के दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें।
- इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा भी करनी चाहिए।
- यदि घर पर शिवलिंग है तो दूध, और गंगाजल आदि से अभिषेक करें।
- शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा आदि अवश्य अर्पित करें।
- पूजा करते समय नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते रहें।
- शिव जी के समक्ष पूजा स्थान में दीप प्रज्वलित करें।
- अंत में भगवान शिव को भोग लगाएं और आरती करें।