अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस पर आयोजित हुआ जन जागरूकता गोष्ठी

गाजीपुर। हर वर्ष 26 जून को अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस मनाया जाता है। नशीली वस्तुओं और पदार्थों के निवारण के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1987 में यह प्रस्ताव पारित किया था और तभी से हर साल लोगों को नशीले पदार्थों के सेवन से होने वाले दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से इसे मनाया जाता है। इसी कड़ी में शनिवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय के सभागार में एक गोष्ठी का आयोजन मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ जी सी मौर्य की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें समस्त विकास खंडों में तैनात चिकित्सा अधिकारी एवं स्टाफ नर्स उपस्थित रहे। इस अवसर पर एनसीडी (गैर संचारी रोग)के नोडल डॉक्टर के के सिंह ने कहा कि लोग सोचते हैं कि वे बच्‍चें कैसे नशा कर सकते है जिनके पास खाने को भी पैसा नहीं होता। परंतु नशा करने के लिए सिर्फ मादक पदार्थो की ही जरुरत नहीं होती, बल्कि व्‍हाइटनर, नेल पॉलिश, पेट्रोल आदि की गंध, ब्रेड के साथ विक्स और झंडु बाम का सेवन करना, कुछ इस प्रकार के नशे भी किए जाते हैं, जो बेहद खतरनाक होते हैं। एसीएमओ डॉ के के वर्मा ने बताया कि नशे की लत ने इंसान को उस स्तर पर लाकर खड़ा कर दिया है कि अब व्‍यक्‍ति मादक पदार्थों के सेवन के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। वह नशे के लिए जुर्म भी कर सकता है। नशे के मामले में महिलाएं भी पीछे नहीं है। महिलाओं द्वारा भी मादक पदार्थों का बहुत अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है। व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में तनाव, प्रेम संबंध, दांपत्य जीवन व तलाक आदि कारण, महिलाओं में नशे की बढ़ती लत के लिए जिम्मेदार है। नशे के विभिन्न प्रकार मादक पदार्थों का सेवन-मादक पदार्थों के सेवन में शराब, सिगरेट, ड्रग्‍स, हेरोइन, गांजा, भांग आदि शामिल हैं। हर वह वस्तु जो आपको जिसकी आपको लत लग जाए, नशे की श्रेणी में ही आता है। ऐसी ही कुछ आदतें हैं जिन्हें छोड़ना बेहद मुश्किल होता है जैसे – मादक पदार्थों के अलावा चाय, काफी, वर्तमान समय के नवीन यंत्र जैसे- वीडियो गेम्‍स, स्‍मार्ट फोन, फेसबुक आदि का ज्‍यादा मात्रा में उपयोग भी नशे की श्रेणी में आते है। नशे से नुकसान, मादक पदार्थों के सेवन से सबसे बड़ी हानि, स्वास्थ्य की हानि है। इससे आपके शरीर के कई अंगों पर एक साथ विपरीत असर पड़ता है। खास तौर से यह आपके दिमाग को भी अपनी चपेट में ले लेता है। नशा करने वाला व्‍यक्‍ति हमेशा चिढ़ा हुआ और मानसिक तनाव से ग्रसित होता है। नशा करने वाला व्‍यक्‍ति सदैव अपने ख्‍यालों में ही रहता है, उसे अपने आस-पास के माहौल से ज्‍यादा मतलब नहीं होता है। नशा करने वाला व्‍यक्‍ति आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक सभी से कमजोर होता है। नशा करने वाला व्‍यक्‍ति अपने समाज एवं परिवार से बिलकुल दूर हो जाता है। नशा करने वाला व्‍यक्‍ति सबसे ज्‍यादा दुर्घटनाओं का शिकार होता है।

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