वाराणसी। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय बनारस में पर्यटन का नया केंद्र बनेगा। 230 साल की धरोहर व ज्ञान समेटे विश्वविद्यालय परिसर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। साथ ही परिसर के स्थापत्य एवं गौरवशाली इतिहास पर वृत्तचित्र भी तैयार किया जाएगा। कुलपति प्रो. हरेरराम त्रिपाठी ने इस मामले में धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी से लखनऊ में बुधवार को मुलाकात की थी। कुलपति ने बताया कि संस्कृत विश्वविद्यालय भारतीय संस्कृति, शिक्षा, साधना एवं साहित्य की केंद्र स्थली तथा ऐतिहासिक धरोहर है। वहीं मंत्री से भी इस पर चर्चा की गई। मंत्री ने विस्तृत कार्ययोजना मांगी है और इस दिशा में सहयोग की बात कही है। मुख्य भवन, सरस्वती भवन पुस्तकालय, पुरातत्व संग्रहालय, बौद्ध कक्ष, आरटीएच ग्रिफिथ द्वारा रचित वाल्मिकी रामायण का अंग्रेजी अनुवाद (ग्रिफिथ स्मारक) स्थली, नाट्यशाला, यज्ञशाला, श्रौत विहार, स्मार्त यज्ञशाला, पं सुधाकर द्विवेदी वेधशाला, लाल भवन, क्रीड़ा क्षेत्र, पंच मंदिर, वाग्देवी मंदिर, स्तूप आदि धरोहर का जीर्णोद्धार एवं विकास कर पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित किया जाएगा। इसके अलावा संस्था के विद्वानों एवं पूर्व कुलपतियों के जीवन वृत्त पर एक वृत्तचित्र भी बनाया जाएगा।