काशी से सात समंदर पार तक गूंजे ठुमरी-दादरा के सुर…

वाराणसी। काशी से सात समंदर पार तक ठुमरी-दादरा के सुर आभासी दुनिया के मंच पर सजे। तीन दिवसीय कार्यशाला में देश-विदेश के दो दर्जन से अधिक संगीत रसिकों ने बनारस घराने की पारंपरिक ठुमरी और दादरा का गुर सीखा। प्रमिला मिश्रा एकेडमी ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक के तत्वावधान में चल रहे त्रिदिवसीय ऑनलाइन ठुमरी-दादरा संगीत प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन सोमवार को हुआ। प्रख्यात शास्त्रीय गायक पंडित धर्मनाथ मिश्र ने तीसरे दिन प्रतिभागियों को राग भैरवी में बंदिश की ठुमरी, बोलबाट की ठुमरी और बोलबनाव कि ठुमरी जैसी पारंपरिक विधाओं से अवगत कराया। इसके अलावा उन्होंने तीन ताल एवं दीपचंदी ताल में निबद्ध बंदिश ‘कैसी बजा गई श्याम बसुरिया’ आदि से स्वर अभ्यास कराया। उनके साथ तबले पर प्रशांत मिश्र ने संगत किया। कार्यशाला के विशिष्ट अतिथि दिल्ली घराने के विश्वविख्यात तबला वादक उस्ताद अकरम खान ने सभी प्रशिक्षुओं को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय शास्त्रीय संगीत अपार प्रतिभाओं और शैलियों से भरा है, बस आवश्यकता है उन्हें निखारने की। इस कड़ी में एकेडमी के प्रयास सराहनीय है। इस एकेडमी के जरिये शास्त्रीय विधाओं की शिक्षा जन-जन तक पहुंच सकती है।

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