जानिए बौद्ध संग्रहालय को क्यों मिली 300 साल पुरानी दो अष्टधातु की मूर्तियां…

गोरखपुर। जिले में पुलिस के मालखानों में जमा ऐतिहासिक महत्व की मूर्तियों को संरक्षित करने की मुहिम ने रंग लाना शुरू कर दिया है। पहले चरण में कैंपियरगंज थाने से 300 वर्ष पुरानी दो मूर्तियां और कुछ मुकुट राजकीय बौद्ध संग्रहालय में संरक्षण के लिए पहुंचाए गए हैं। संग्रहालय प्रशासन की ओर से इसे लेकर दो वर्ष पूर्व प्रयास शुरू किया गया था, मगर नए एडीजी जोन अखिल कुमार के कार्यभार ग्रहण करने के बाद संग्रहालय प्रशासन को मूर्तियां मिल सकी हैं। दोनों मूर्तियां कैंपियरगंज पुलिस को लावारिस मिली थीं। मूर्तियों के पुरातात्विक महत्व पर अध्ययन के साथ ही कीमत के आकलन में संग्रहालय प्रशासन लगा है। मूर्तियों के संरक्षण को लेकर सबसे पहला प्रयास इंटेक के गोरखपुर चैप्टर द्वारा प्रारंभ किया गया था। इंटेक ने तत्कालीन कमिश्नर जयंत नार्लीकर को पत्र प्रेषित कर जिले के सभी थानों के मालखानों में जमा ऐतिहासिक महत्व के मूर्तियों की सूची सौंपी थी। इंटेक का कहना था संरक्षण के अभाव में ऐतिहासिक महत्व की मूर्तियां खराब हो रही हैं। ऐसे में जो गैर विवादित मूर्तियां हैं उन्हें संरक्षण के लिए बौद्ध संग्रहालय भेजे जाने का प्रबंध किया जाए। मंडलायुक्त ने मामले का संज्ञान लिया और तत्कालीन पुलिस कप्तान को पत्र लिखकर गैर विवादित कलाकृतियों को संरक्षण के लिए संग्रहालय पहुंचवाने का निर्देश दिया था। राजकीय बौद्ध संग्रहालय के उप निदेशक डॉ. मनोज कुमार गौतम ने बताया कि पुलिस के मालखानों में पड़ी गैर विवादित ऐतिहासिक महत्व की मूर्तियों को संरक्षित किए जाने के लिए इंटेक के सहयोग से प्रयास शुरू किया गया था। पहले चरण में कैंपियरगंज थाने से दो मूर्तियां राजकीय बौद्ध संग्रहालय को मिली हैं। इससे संग्रहालय और समृद्ध होगा। मूर्तियों का अध्ययन कराया जा रहा है। पहली नजर में मूर्तियां जानकी और राम से जुड़ी हुई नजर आती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *