प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) के अभिन्न अंग रहे पत्राचार संस्थान के 31 कर्मचारियों को विश्वविद्यालय में समायोजित किया जाएगा। यह निर्णय सोमवार को इविवि की कार्य परिषद की बैठक में लिया गया। हालांकि अभी सिर्फ उन्हीं 31 कर्मचारियों को समायोजित किया जाएगा, जिन्होंने न्यायालय में अवमानना याचिका दाखिल की थी। कर्मचारियों के वेतन का तकरीबन 30 करोड़ रुपये बकाया भी है, जिसका भुगतान करने को इविवि प्रशासन तैयार नहीं हुआ। कार्य परिषद की बैठक में पत्राचार संस्थान के बाकी कर्मचारियों को भी लेकर कोई निर्णय नहीं हो सका। इविवि की पीआरओ डॉ. जया कपूर के अनुसार जिन 31 कर्मचारियों ने न्यायालय में अवमानना याचिका दाखिल की थी, उन्हें समायोजित किए जाने पर कार्य परिषद ने मुहर लगाई है। उन्होंने बताया कि पत्राचार संस्थान के कर्मचारियों के बकाया वेतन का भुगतान करने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने ग्रांट देने से मना कर दिया था। इविवि के पास भी बकाया भुगतान के लिए कोई फंड नहीं था। ऐसे में कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने फरवरी-2021 में पत्राचार संस्थान के मामले को सुलझाने के लिए कमेटी गठित कर दी। कला संकाय के अध्यक्ष प्रो. हेरंब चतुर्वेदी की अध्यक्षता में यह कमेटी बनाई गई थी। कमेटी की ओर से कुलपति को सौंपी गई रिपोर्ट में पत्राचार संस्थान के उन 31 कर्मचारियों को नियमानुसार विश्वविद्यालय की सेवाओं में समायोजित करने की सिफारिश की गई, जिनके बारे में कोर्ट का आदेश था। रिपोर्ट मिलने के बाद कुलपति ने कार्य परिषद की आपात बैठक बुला ली। परिषद के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से इस फैसले पर अपनी मुहर लगा दी।