ग़ाज़ीपुर। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में 3 दिन पूर्व हुए लिपिक संवर्ग के तबादले के बाद लिपिक संवर्ग। एसोसिएशन तबादले से काफी नाराज है। जिसके बाद प्रदेश अध्यक्ष के निर्देश पर सभी लिपिक मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पर आज से अपना कार्य बहिष्कार कर धरने पर चले गए हैं। इन लोगों का मांग है कि अनैतिक पूर्ण किए गए ट्रांसफर को तत्काल वापस लिया जाए नहीं, तो हम स्वास्थ्य विभाग की ईट से ईट बजा देंगे इन सब बातों को लेकर आज गाजीपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पर आज सुबह से लिपिक संवर्ग कर्मचारियों का धरना और प्रदर्शन शुरू हो गया है। इन लोगों का आरोप है कि विभाग के दक्षिण भारती आईएएस अधिकारी ने दक्षिण भारत की राजनीतिक पार्टी को प्रदेश में स्थापित करने के लिए यह तबादला एक्सप्रेस चलाया है। जनपद गाजीपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पर आज सुबह से ही सभी लिपिक कर्मचारी अपने अपने कार्यों का बहिष्कार कर अपने हुए ट्रांसफर के विरोध में धरना प्रदर्शन कर विभाग और विभागीय आईएएस अधिकारी मुर्दाबाद के नारे लगा रहे हैं। बताते चलें कि गाजीपुर में कुल 53 लिपिक कार्यरत है और इस तबादले में 32 लिपिकों का ट्रांसफर मानक की अनदेखी करते हुए हजार-हजार किलोमीटर दूर कर दिया गया है। इस तबादले में दिव्यांग कर्मचारी, महिला कर्मचारी, विधवा महिला कर्मचारी का भी ध्यान नहीं रखा गया है। यहां तक की जिस कर्मचारी का रिटायरमेंट में 1 साल बाकी है, उनका भी जबरन ट्रांसफर कर दिया गया है, जिला अध्यक्ष अमित राय ने बताया कि विभाग का आईएएस अधिकारी जो दक्षिण भारत का रहने वाला है और वह दक्षिण भारत की एक राजनीतिक दल को उत्तर प्रदेश में स्थापित करना चाहता है। जिसके चलते हुए योगी सरकार को बदनाम करने की नियत से इस तरह का तबादला किया है, ताकि स्वास्थ विभाग के कर्मचारी योगी सरकार के विरोध में आगे आ जाए, जिससे कि उनका राजनीतिक लाभ मिले साथ ही उन्होंने बताया कि अगर हम शासनादेश की बात करें तो किसी भी हाल में विभाग के द्वारा 10 फीसदी कर्मचारियों का या फिर विभागीय मंत्री अधिकतम 20 फीसदी कर्मचारियों का एक बार में तबादला कर सकता है, लेकिन इस तबादले में 70 फीसदी से ऊपर कर्मचारियों का तबादला कर स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत कर्मचारियों को कोविड-19 के सेकंड फेज में काम करने का इनाम दिया है, ऐसे में डब्ल्यूएचओ के द्वारा तीसरे लहर की बात कही जा रही है और यह तबादला इसी तरह चलता रहा, तो स्वास्थ विभाग के अधिकारी और कर्मचारी कैसे तीसरी लहर को रोक पाएंगे यह समझ से परे की बात है।