राम वन गमन मार्ग पर राम वन विकसित करेगी सरकार, त्रेतायुग का होगा एहसास

प्रयागराज। राम वन गमन मार्ग पर अब राम वन विकसित किए जाएंगे। अयोध्या से चित्रकूट के बीच आठ स्थानों पर राम वन बनाने की योजना तैयार की गई है। राम वन के रूप में उन स्थलों को विकसित किया जाएगा, जहां -जहां वन गमन के दौरान भगवान राम ठहरे थे। इन वनों के जरिए इस पथ पर आने वाले श्रद्धालुओं को त्रेता युग का एहसास कराया जाएगा। इस परियोजना को सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार साकार करेगी। इसके लिए पीडब्ल्यूडी के अफसरों को निर्देश जारी कर दिया गया है। ताकि, इस परियोजना पर जल्द अमल किया जा सके। परियोजना के पहले चरण में अयोध्या से चित्रकूट के बीच आठ वन क्षेत्र पड़ेंगे। पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान श्रीराम 14 साल के अपने वनवास के दौरान जिन रास्तों से गुजरे थे, उसी को राम वन गमन मार्ग के रूप में बनाया जाना है। इस मार्ग के बीच कई जगहों पर प्रभु श्रीराम ने माता सीता और लक्ष्मण के साथ विश्राम किया था। ऐसे आठ वन क्षेत्रों को 137.45 करोड़ रुपये की लागत से पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। राम वन गमन के तहत पथ के दोनों तरफ हरित पट्टी उगाई जाएगी। आध्यात्मिक भावों को प्रतिबिंबित करने वाली ऐसी हरियाली का विकास होगा कि उस अप्रतिम छटा को निहारने के लिए पर्यटक बार-बार उस पथ पर आने के लिए आकर्षित होते रहें। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या से जिस रास्ते से वनवास पर निकले थे, उस कास्ते राम वन गमन मार्ग के रूप में बनाने की योजन पर पहले से ही काम चल रहा है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की राम वन गमन पथ परियोजना पर जल्द ही काम शुरू होने की उम्मीद है। एनएच खंड के एक्सईएन प्रभात कुमार चौधरी बताते हैं कि इस परियोजना का मकसद उन रास्तों को लोगों की यादों में बसाना है, जहां-जहां से भगवान श्रीराम वनवास के दौरान गुजरे थे। भगवान राम जिन रास्तों से गुजरे थे, उसके दोनों किनारों पर पड़ने वाले प्रमुख वन क्षेत्रों को जोड़ने के लिए योजना तैयार की जा रही है। इसके तहत दोनों किनारों पर हरियाली का विकास किया जाएगा, ताकि राम वन गमन के तीर्थों के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को त्रेता युग का एहसास कराया जा सके।

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