लखनऊ। देश की पहली सेमी हाइस्पीड सेल्फ प्रपोल्ड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस अब लखनऊ में अनुसंधान अभिकल्प व मानक संगठन (आरडीएसओ) की टेस्टिंग लैब की जांच से गुजरेगी। आरडीएसओ में ट्रेन सेट के परीक्षण की तकनीक विकसित कर ली गई है। अब आरडीएसओ ट्रेन सेट के फ्रेम को लखनऊ लाने के बाद यहां अगले 35 साल तक पड़ने वाले कई तरह के दबाव की टेस्टिंग करेगा। आरडीएसओ की क्लीयरेंस के बाद ही वंदे भारत एक्सप्रेस का उत्पादन इंटीग्रेटेड कोच फैक्ट्री में शुरू हो सकेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले 74 सप्ताह में देश के अलग-अलग 74 रूटों को वंदे भारत एक्सप्रेस से कनेक्ट करने की घोषणा की है। रेलवे बोर्ड ने पहले चरण में 44 टे्रन सेट (बिना इंजन वाली सेल्फ प्रपोल्ड ट्रेन) के निर्माण की अनुमति दे दी है। अब बनने वाले नए ट्रेन सेट में पिछली वंदे भारत एक्सप्रेस की जगह डिजाइन, इलेक्ट्रिक व मैकेनिकल सहित कई बदलाव किए गए हैं। ऐसे में अब नए ट्रेन सेट के सेफ्टी से जुड़ी टेस्टिंग आरडीएसओ करेगा। वंदे भारत बनाने वाली कंपनी उसका प्रस्तावित फ्रेम आरडीएसओ लाएगी। यहां आरडीएसओ के कैरिज निदेशालय की टेस्टिंग लैब की मशीनों पर उस फ्रेम को रखा जाएगा। यहां सेमी हाइस्पीड ट्रेन की 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर रेलवे क्रासिंग, प्वाइंट और मोड़ के समय 15 से 20 तरह के दबाव बोगियों पर पड़ने वाले दबाव को जांचा जाएगा। उसकी कम्प्यूटरीकृत रिकॉर्डिंग होगी। यह देखा जाएगा कि अलग-अलग स्थिति में पड़ने वाले दबाव के बावजूद वंदे भारत एक्सप्रेस की बोगी में किसी तरह का नुकसान तो नहीं हुआ है। यदि आरडीएसओ विशेषज्ञों की टेस्टिंग में फ्रेम सभी तरह के दबाव को बर्दाश्त करने में सफल रहा तो ही उनकी अनुमति के बाद उस मानक के फ्रेम पर ट्रेन सेट का रैक तैयार होगा। आरडीएसओ के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक अगले साल मार्च में ट्रेन सेट का नई तकनीक से लैस पहला रैक तैयार हो सकेगा।