पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि आध्यात्मिक प्रश्नोत्तरी-प्रश्न-यम कितने प्रकार के हैं? उत्तर-श्रीमद्भागवत महापुराण के ग्यारहवें स्कंध में भगवान् श्रीकृष्ण ने अष्टांग योग का विशद वर्णन उद्धव जी के समक्ष करते हैं। योग के आठ अंग हैं। उसमें सबसे पहला अंग यम है। भगवान् श्री कृष्ण कहते हैं, यम बारह प्रकार के है। 1-अहिंसा,2-सत्य, 3-अस्तेय,4- असंगता,5-लज्जा, 6-आवश्यकता से अधिक संग्रह न करना, 7- आस्तिकता, 8-ब्रम्हचर्य, 9-मौन,10स्थिरता, 11-क्षमा , 12-अभय। भगवान् श्री कृष्ण कहते हैं कि- साधकों को सावधान करना जरूरी है। जो यमों का पालन करते हैं, वे यमराज की यातना से बच जाते हैं। जो इन नियमों पर नहीं चल पाते या इनके कष्ट से बचते हैं, उन्हें यम की कठोर यातनायें सहनी पड़ती है। 1-अहिंसा : किसी जीव को दुःख न देना, हत्या न करना, अहिंसा कहलाती है। महात्मा गांधी ने इन 12 यमों में से पहले दो, अहिंसा और सत्य को जीवन में उतारा तथा देश को स्वतंत्रता प्राप्त करवा कर राष्ट्रपिता का सम्मान अर्जित किया। अहिंसा जीवन की बहुत बड़ी उपलब्धि है। अपनी ओर से प्राणी मात्र को अभय देना अहिंसा है। अभय दान बड़ा दान है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।