पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जब भगवान् आनंदकंद श्री कृष्णचंद्र प्रगट हुए, तब श्रीशुकदेवजी कहते हैं उस समय ठाकुर जी का स्वरूप अद्भुत दर्शनीय था।तदद्भुतंबालकमम्बुजेक्षणं, चतुर्भुजं शंखगदार्युदायुधम्। श्रीवत्सलक्ष्मं गलशोभिकौस्तुभं, पीताम्बरं सान्द्रपयोदसौभगम्। निराकार ब्रह्म साकार होकर प्रगट दिखता है। जिसका आकार न दिखे वो निराकार है और जिसका आकार देख सकें वह साकार है। जैसे अग्नि जब तक लकड़ी में छुपी है तब तक निराकार है और जब काष्ठ जलने लगा तब अग्नि साकार हो गई। उसी तरह जब परमात्मा व्यापक रूप से सबमें समाया रहता है, तब तक वो निराकार है और जब भक्तों को कृतार्थ करने के लिये, उनके व्याकुल व्यथित मन पर अपने दर्शन से शीतल अमृतधारा बरसाने के लिये, जब वो सुमधुर रूप में प्रगट हो जाते हैं, तब वे साकार हैं। अगुनहि सगुनहि नहिं कछु भेदा। गांवहि मुनि पुरान बुध वेदा।। जो गुन रहित सगुन सो कैसे। जलु उपल विलग नहिं जैसे। पानी का बना दी जाये बर्फ और बर्फ में बना दी जाये कोई आकृति, पानी निराकार है और बर्फ के रूप में जब उसने कोई आकार पाया, तब वह साकार हो गया पर मूल में दोनों एक हैं, पानी और बर्फ में कोई भेद नहीं, भेद की कल्पना की गई है। शीत के संयोग से निराकार जल का साकार बर्फ बना और डाई के द्वारा बर्फ में कोई आकृति बना दी गई, बर्फ के कृष्ण बना दिए जायें। लकड़ी का एक सांचा बनाकर जिसकी आकृति श्री कृष्ण जैसी हो उसमें पानी भर कर फ्रिज में रख दिया जाये, जमने के बाद उसे निकालन ले। अब जो कृष्ण के रूप में बर्फ में प्रकट हो गये, वे साकार हैं। पानी के रूप में निराकार, तो निराकार और साकार में भेद क्या रहा? उसी तरह निराकार ब्रह्म और साकार श्री कृष्ण में भेद क्या है? हां निराकार की उपासना में थोड़ी कठिनाई है, साकार की उपासना में सुगमता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य घनश्याम धाम,
श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)