नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तमिलनाड मर्केंटाइल बैंक के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए बैंकों के डिजिटलीकरण और वित्तीय समावेशन को लेकर बड़ी बातें कहीं। उन्होंने कहा कि बैंकों (निजी क्षेत्र सहित) को डिजिटलीकरण को तेजी से अपनाना चाहिए ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ समाज के हर तबके तक पहुंच सके। उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान बैंकिंग प्रतिनिधियों (कॉरस्पॉन्डेंट) के जरिए डिजिटल के इस्तेमाल से जरूरतमंद लोगों के ब्योरे के सत्यापन के बाद सरकार की वित्तीय मदद उन तक पहुंच सकी। वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री इस बात को जानते हैं कि बैंकिंग महत्वपूर्ण है। इसलिए उन्होंने जनधन योजना के तहत शून्य शेष वाले बैंक खाते को अनुमति देने में हिचकिचाहट नहीं दिखाई। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि प्रत्येक के पास बैंक खाता हो और वह रुपे कार्ड के जरिये लेनदेन कर सके। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोविड-19 महामारी के दौरान जरूरतमंद लोगों के बैंक खातों में तीन किस्तों में 1,500 रुपये डाले हैं और डिजिटलीकरण के जरिये बैंकिंग क्षेत्र में काफी तेजी से बदलाव हो रहे हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि आज ऐसे स्थान पर बैंक शाखा खोलने की जरूरत नहीं है, जहां बैंक नहीं है। आज हम वहां रहने वाले लोगों के बैंक खातों तक पहुंच जाते हैं। सभी तरह की प्रौद्योगिकियां उपलब्ध हैं। तूतीकोरिन में बैठकर भी कोई किसी छोटे गांव में रहने वाले व्यक्ति की बैंकिंग जरूरत को प्रौद्योगिकी के जरिये पूरा कर सकता है। उन्होंने कहा कि आज तमिलनाड मर्केंटाइल बैंक जैसे बैंकों के लिए प्रौद्योगिकी से संबंधित समाधान अपनाना बेहद जरूरी है ताकि वे अधिक दक्ष बन सकें। सीतारमण ने कहा कि बैंकिंग के लिए व्यापक संभावनाएं हैं। मेरा मानना है कि डिजिटलीकरण पूर्ण होना चाहिए। आपके खुद के तथा ग्राहकों की दृष्टि से डिजिटलीकरण जरूरी है। तमिलनाड मर्केंटाइल बैंक को अपने सभी ग्राहकों को इससे जोड़ना चाहिए और वित्तीय समावेशन का कार्यान्वयन करना चाहिए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत तमिलनाड मर्केंटाइल बैंक की एक लाभार्थी को वित्तीय सहायता प्रदान करने के बाद कहा कि आप एक ऐसी महिला को चेक दे रहे हैं, जो इडली बेचने का कारोबार करती है। आप यह वित्तीय सहायता इस वजह से दे पाए क्योंकि प्रधानमंत्री जनधन जैसी कोई योजना है। उन्होंने कहा कि यदि यह योजना नहीं होती तो आप यह सहायता नहीं दे पाते। यह इसलिए संभव हो पाया क्योंकि 2014 में प्रधानमंत्री जनधन योजना शुरू हुई।