पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्या मोरारी बापू ने कहा कि श्री गणेश महापुराण कथा पंचम दिवस-कथा स्थल-श्री गणेश जी मंदिर कृषि मंडी के पास सवाई माधोपुर रोड उनियारा टोंक (राजस्थान) दिनांक 9-3-2022 से 15-3- 2022 तक। कथा का समय-दोपहर 12:30 बजे से 4:30 बजे तक। सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय मुख्य यजमान-श्री गणेश जी महाराज, निवेदक एवं सहयोग-समस्त धर्म प्रेमी जनता, आयोजक व्यवस्थापक एवं सानिध्य-श्री घनश्याम दास जी महाराज (पुष्कर-गोवर्धन) कथा व्यास-श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू। भगवान श्री गणेश कैसे प्रसन्न हों? भगवान गणेश जी को प्रसन्न करने का साधन बड़ा ही सरल और सुगम है। उसे प्रत्येक गरीब, अमीर व्यक्ति कर सकता है। उसमें न विशेष खर्च की, न विशेष योग्यता की और न विशेष समय की आवश्यकता है। पीली मिट्टी की डली ले लो। उस पर लाल कलावा (मोली) लपेट दो। भगवान् गणेश साकार रूप में उपस्थित हो गये। रोली का छीटा लगा दो और चावल के दाने डाल दो। पूजन की यही सरल विधि है। गुड़ की डली या चार बतासा चढ़ा दो, यह भोग लग गया और स्तुति-गजाननं भूतगणादिसेवितं, कपित्थजम्बू फल चारु भक्षणं। उमासुतं शोक विनाशकारकं, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।। यह छोटा श्लोक बोल दो मंत्र हो गया। बस इतने मात्र से वह तुमसे प्रसन्न हो गये। कैसे दयालु हैं वे। कुछ भी न बने तो दूब ही चढ़ा दो और अपने सारे कार्य सिद्ध कर लो। खर्च कुछ भी नहीं और काम ज्यादा, यही तो उनकी विलक्षण महिमा है। मानवता के घोर अधः पतन का कारण भगवान् गणेश की उपेक्षा है। घोर अधः पतन का एकमात्र कारण भगवान् श्री विघ्न- विनाशक गणेश जी की घोर उपेक्षा है। पहले धर्म प्राण भारत के प्रत्येक विद्यालय में बालकों से सर्वप्रथम तख्ती पर श्री गणेशाय नमः” लिखवाकर और भगवान् श्री गणेश का पूजन करवाकर अध्यापक पढ़ाना प्रारम्भ करते थे। प्रतिवर्ष सारे विद्यालयों में भाद्रपद श्री गणेश चतुर्थी (डंडा- चौथ) को उनका बड़ी धूमधाम के साथ पूजन कराया जाता था, जो बस देखते ही बनता था। समस्त भारत श्री गणेश भक्ति के रंग में रंग जाता है। आज धर्म-प्राण भारत के समस्त विद्यालयों में भगवान् गणेश का पूजन करना तो दूर रहा उनका नाम भी नहीं लिया जाता। जब तक विद्यार्थी भगवान् श्री गणेश और माता सरस्वती का पूजन स्मरण करते रहे, तब तक बालकों की बुद्धि शुद्ध और निर्मल रही। पर जब से विद्यार्थियों से भगवान् श्री गणेश का पूजन करना छुड़ाया गया, पूजनादि को पाखंडवाद बताया गया। तबसे इन पढ़ने वाले विद्यार्थियों की बुद्धि भ्रष्ट हो गई। जिसका घोर भयंकर दुष्परिणाम अनैतिकता,अनुशासनहीनता आदि के रूप में प्रत्यक्ष देखने में आ रहा है। जो पतन यवन शासनकाल में अथवा अंग्रेज शासन काल में नहीं हुआ वह हो गया। बालकों को अक्षर ज्ञान कराते समय आजकल ग माने गणेश न पढ़ा कर गमला या गधा पढ़ाया जाता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी,
भगवान् श्री गणेश और माता सरस्वती का करना चाहिए पूजन: दिव्य मोरारी बापू
दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।