हिमाचल प्रदेश। भारत सरकार ड्रोन तकनीकी के क्षेत्र में लगातार कदम बढ़ा रही है। इसी क्रम में केंद्र सरकार का इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की स्वदेशी माइक्रो प्रोसेसर चैलेंज प्रतियोगिता करवा रहा है। इस प्रतियोगिता का मकसद ऐसी प्रतिभा का खोज करना है, जो कि ड्रोन तकनीकी में विदेशों पर निर्भरता कम करके स्वदेशी, सुरक्षित और सस्ता ड्रोन निर्मित कर सके। आत्मनिर्भरता के इस प्रयास में कांगड़ा जिले में धर्मशाला के नजदीक घरोह के रहने वाले प्रभात ठाकुर बेहद करीब पहुंच चुके हैं। इस प्रतियोगिता की शुरुआत में 6000 कंपनियों ने हिस्सा लिया था और उनको पीछे छोड़ते हुए हिमाचल के प्रभात ने टॉप 30 में जगह बना ली है। तकनीकी क्षेत्र में इतना लंबा सफर तय कर प्रभात ने पूरे हिमाचल को गौरवान्वित किया है। इसके लिए भारत सरकार की ओर से उन्हें चार लाख रुपये बतौर इनाम दिए गए हैं। अब उनका लक्ष्य टॉप टेन में जगह बनाकर उनका लक्ष्य भारत को स्वेदशी और आत्मनिर्भर ड्रोन देने का है। इसके लिए अंतिम चरण में तीन महीनों में अगले चरण का मुकाबला होगा।