श्रेष्ठ कर्म करने से पुण्य की होती है प्राप्ति: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, प्रेमा भक्ति के अंतरिक्ष का उज्जलतम सितारा ध्रुव आज भी अपनी भक्ति की आभा से सबसे चमकीले सितारे के रूप में अंतरिक्ष की शोभा को बढ़ा रहा है। ध्रुव के पिता का नाम है उत्तानपाद और माता का नाम है सुनीति, सौतेली मां का नाम है सुरुचि। जन्मदात्री मां का नाम सुनीति, विमाता का नाम सुरुचि। सुनीति के पुत्र हैं ध्रुव और सुरुचि के पुत्र का नाम है उत्तम। उत्तानपाद महाराज की दो पत्नियां हैं, बड़ी है सुनीति, छोटी है सुरुचि। हर व्यक्ति की दो इच्छाएं होती हैं, एक नीति और दूसरी रुचि की। कभी-कभी व्यक्ति धर्म की नीति से चलता है और कभी मन की रुचि से चलता है। जो धर्म की नीति से चलते हैं उन्हें ईश्वर का साक्षात्कार हो जाता है और जो हमेशा मन की रुचि से चलते हैं उनके वंश का नाश हो जाता है। जो व्यक्ति शास्त्र की बात कभी नहीं मानता, जो मन करेगा वह करेगा। ऐसे व्यक्ति का वंश ज्यादा देर टिक नहीं पाता। इसीलिए सुरुचि का वंश आगे नहीं बढ़ा। उनका बेटा उत्तम शिकार खेलने गया तो यक्षों के द्वारा मारा गया। मां ढूंढने गई, तो जंगल में आग लग गई, वही जलकर खत्म हो गयी। सु

रुचि का वंश नहीं चलता। सुनीति का ही वंश चला करता है। हमें वह नहीं करना जो हमारा मन कहता है, हमें वो करना है जो हमारे शास्त्र और गुरु कहते हैं। अगर शास्त्र और गुरु के अनुसार चलने को हमारा मन कहता है तब तो मान लेना और मन यदि शास्त्र के विरुद्ध कुछ कह रहा है तो नहीं मानो। श्रेष्ठ कर्म करने से पूर्वजों को भी पुण्य की प्राप्ति होती है और बच्चों का भी भला होता है। बुरा कर्म करने से पूर्वज भी पाप के भागीदार बनते हैं और व्यक्ति के बुरे कर्म का फल उसके बच्चों को भी कष्ट पहुंचाता है इसीलिए धर्मशास्त्र कहते हैं- ” बाढ़हिं पुत्र पिता के धर्मा। खेती उपजे अपने कर्मा।। “साधु संत लोगों से पूछते हैं- आप कौन ऐसा धर्म-कर्म कर रहे हैं जिससे आपके बच्चे आगे बढ़ेंगे। जो कर रहे हैं वे वंदनीय है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना- श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)

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