राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी ने कहा कि उपर्युक्त विचार गुलाब बाबा की धूनी, देव दरबार में चल रही श्रीमद् भागवत सप्ताह कथा के द्वितीय दिवस राष्ट्रीय संत श्री-श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू कहां की जीवन में सफलता के लिये सही दिशा और कठोर परिश्रम की आवश्यकता है। कठोर परिश्रम- यह राष्ट्र बड़ा श्रीमंत है। चाहे सांस्कृतिक दृष्टि से देखिए, चाहे प्राकृतिक दृष्टि से देखिए। भारत सदियों से विश्व को संदेश देता आया है और भारतीयों के पास बुद्धि भी गजब की है। मगर आज के संदर्भ में जरूरी है कि सब आदमी मेहनती बनें।
पहली बात है कठोर परिश्रम, दूसरी बात है मानवतावादी धर्म। राष्ट्र के विकास के लिये धर्म भी बहुत बड़ा योगदान कर सकता है। लेकिन वह धर्म मानवतावादी हो और उसके केंद्र में मानव हो। महात्मा गांधी ने देश को स्वाधीनता दिलाई वह धर्म की पीठिका के ऊपर आधारित है। इसी धर्म भावना का, श्रद्धा का सही इस्तेमाल किया जाये तो राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं। जीवन में जो बात जरूरी है, उसमें पहली बात है कठोर परिश्रम। आलसी बनकर आदमी कैसे बैठे रह सकता है? यदि काम करना चाहे वो काम मिल ही जायेगा।
जिसको काम नहीं करना होता उसको नहीं मिलता। गुलाब बाबा की धूणी, देव दरबार के पावन स्थल, सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ कथा, समस्त भक्तों के सहयोग से परम-पूज्य संत श्री-श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में एवं सुंदर सी व्यवस्था में आयोजन किया जा रहा है कल की कथा में भक्त प्रह्लाद जी की कथा का गान किया जाएगा।