जम्मू-कश्मीर। कश्मीर घाटी में लगातार हत्याओं के चलते हालात एक बार फिर बेकाबू होने लगे है। एक माह के अंदर आठ लक्षित हत्याओं ने सभी को हिला कर रख दिया है। आगे सरकार ने साफ कर दिया है कि हालात खराब करने के सभी दोषियों को हिसाब देना ही पड़ेगा।
गृह मंत्री अमित शाह, उप राज्यपाल मनोज सिन्हा और वरिष्ठ अधिकारियों की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक से एक दिन पहले आतंकियों ने कुलगाम में बैंक प्रबन्धक विजय कुमार की ड्यूटी के दौरान हत्या कर दी। इससे घाटी में कार्यरत हिन्दू सरकारी कर्मचारियों और नागरिकों में काफी भय उत्पन्न हो गया है।
घाटी में लक्षित हत्या (टारगेट किलिंग) की घटनाएं बढ़ गयी हैं। आतंकवादी घाटी में दहशत का माहौल कायम रखने के लिए हिन्दू नागरिकों और सरकारी कर्मचारियों को चुनकर निशाना बना रहे हैं। बड़गाम में कश्मीरी पण्डित राहुल भट्ट और कुलगाम में महिला शिक्षक रजनी बाला की हत्या की घटनाओं से लोगों में काफी आक्रोश है।
एक माह के अन्दर आठ लक्षित हत्या की घटनाओं से सरकार और प्रशासन की चिन्ता बढ़ गयी है। बैंक प्रबन्धक विजय कुमार राजस्थान के हनुमानगढ़ के निवासी हैं और उन्होंने कुछ दिन पूर्व ही कुलगाम में नौकरी शुरू की थी। लक्षित हत्या की घटनाओं से आक्रोशित हिन्दू समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन भी किया और प्रशासन से अपनी सुरक्षा की मांग की है।
हत्या की घटनाओं को देखते हुए प्रशासन ने हिन्दू समुदाय के लोगों और सरकारी कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए बड़ा कदम उठाया है। कश्मीर में तैनात प्रवासियों और जम्मू सम्भाग के दूसरे कर्मचारियों को घाटी में छह जून तक सुरक्षित स्थानों पर स्थानान्तरित करने का आदेश जारी कर दिया गया है।
प्रधान मंत्री पैकेज के तहत तैनात अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों को तुरन्त सुरक्षित स्थानों पर तैनात करने की व्यवस्था की गयी है। इसके बावजूद एक बड़ा प्रश्न यह है कि लक्षित हत्या की घटनाएं कब रुकेंगी। भारतीय सेना और सुरक्षाबलों ने आपरेशन आल आउट का जो अभियान चलाया है उससे पाकिस्तान परस्त आतंकवादी बौखला गए हैं।
इसलिए वह लक्षित हत्याका सहारा ले रहे हैं। इसमें पाकिस्तान की सेना और आईएसआई का हाथ होने के भी संकेत मिल रहे है। अब सरकार भी खुले दिमाग से इस आतंकवाद के सफाए पर जुट गई है और आगे जो भी परिणाम आएगा वह सही और सार्थक ही होगा।