नई दिल्ली। राजस्थान के करीब 36000 निजी व गैर अनुदान प्राप्त स्कूलों को सुप्रीम कोर्ट ने बकाया फीस व अन्य शुल्क की वसूली के लिए उचित कार्रवाई की छूट दे दी है। इन स्कूलों का प्रबंधन, उन लोगों से फीस वसूल कर सकता है, जो मई में शीर्ष कोर्ट द्वारा इस बारे में की गई व्यवस्था के अनुसार भुगतान करने में विफल रहे हैं। शीर्ष कोर्ट ने तीन मई को इन स्कूलों को निर्देश दिया था कि वे अकादमिक वर्ष 2020-21 के दौरान 15 फीसदी कम फीस वसूलें। इसके साथ ही यह भी कहा था कि किसी विद्यार्थी को फीस का भुगतान नहीं करने के कारण वर्चुअल या भौतिक रूप से कक्षा में हाजिर होने से रोका नहीं जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि अकादमिक वर्ष की फीस 5 अगस्त 2021 के पूर्व छह समान किस्तों में अदा की जाए। स्कूल प्रबंधन की अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट ने कहा कि मई में दिए गए आदेश की भावना फीस भुगतान के लिए मोहलत देना थी। इसलिए इसे किस्तों में किया गया था, ताकि बच्चों के अभिभावकों पर बोझ न पड़े। जस्टिस एएम खानविलकर व सीटी रविकुमार की पीठ से याचिकाकर्ताओं के वकील विकास सिंह ने कहा कि फीस चुकाने की अंतिम तिथि बीत चुकी है, इसके बाद भी कुछ लोगों पर अब भी बकाया है और वे पैसा नहीं चुका रहे हैं। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि स्कूल प्रबंधन फीस व बकाया शुल्क की वसूली के लिए उचित कार्रवाई कर सकता है। यह कार्रवाई कानून सम्मत होना चाहिए। यदि पालक उचित कारण बताते हैं तो प्रबंधन को उन पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना होगा।