योग। सर्दियों का मौसम आते ही वायु प्रदूषण का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है। वायु प्रदूषण भारत समेत दुनियाभर के कई बड़े देशों की समस्या है। पिछले कुछ वर्षों में कई स्वास्थ्य समस्याओं के पीछे वायु प्रदूषण को बड़ा कारण माना गया है। वायु प्रदूषण सीधे तौर पर हमारे फेफड़े को प्रभावित करता है जिससे सांस संबंधी कई तरह की बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। प्रदूषण के कारण पिछले कुछ समय में अस्थमा और श्वसन संबंधी मरीजों की तादाद काफी तेजी से बढ़ी है।
वायु प्रदूषण के जहरीले महीन कण जब हमारे फेफड़े में प्रवेश करते हैं तो वायु मार्ग में सूजन आ जाती है और इससे सांस लेने में काफी परेशानी होती है। इस स्थिति को ही अस्थमा कहा जाता है। अस्थमा और ब्रीदिंग प्रॉब्लम्स के लिए वायु प्रदूषण सबसे घातक है। कुछ ऐसे योग हैं जिनके माध्यम से अस्थमा और श्वसन संबंधी समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
कुछ योगासन करके हम अपने अंदर इम्यून सिस्टम को मजबूत बना सकते हैं जिससे शरीर के अंदर डिफेंस मैकेनिजम तैयार करते हैं जो हमें बीमारियों से बचाता है। आइए जानते हैं अस्थमा और ब्रीथिंग प्रॉब्लम्स के लिए कारगर योगासन-
कपालभाती प्राणायम:-
अस्थमा और श्वसन संबंधी समस्या में कपालभाती प्राणायाम काफी लाभदायक होता है। कपालभाती सबसे आसान योगासन में गिना जाता है। इससे फेफड़ों में आक्सीजन का प्रवाह काफी तेजी से सुधरता है। आमतौर पर लोग इसे वजन कम करने के लिए करते हैं लेकिन सांस संबंधी बीमारियों को दूर करने में भी यह काफी कारगर है।
प्राणायाम करने के लिए पद्मासन की मुद्रा में बैठना चाहिए और रीढ़ की हड्डी सीधी रखकर हथेलियों को घुटने पर रख लेना चाहिए। कपालभाती करते समय सारा ध्यान सांसों की गति पर रहना चाहिए। अब नाक के जरिए धीरे-धीरे लंबी और गहरी सांस लें। इसके बाद सांसों को भी धीरे-धीरे बाहर निकालें। अब धीरे-धीरे मुंह से लंबी और गहरी सांस लें और बाहर निकालें। ध्यान रहे कि सांस छोड़ने के साथ ही आपका पेट अंदर की तरफ आना चाहिए।
भस्त्रिका प्राणायाम:-
प्राणायाम का ही एक रूप है भस्त्रिका प्राणायाम। फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए यह सबसे उपयोगी योग है। इसे करने से नाड़ी प्रवाह में भी सुधार आता है। भस्त्रिका करने से श्वास की समस्याएं दूर हो जाती हैं। वायु प्रदूषण के असर को कम करने के लिए आपको प्रतिदिन 15 से 20 मिनट तक भस्त्रिका प्राणायाम करना चाहिए। भस्त्रिका प्राणायाम और कपालभाती प्राणायाम करने से अस्थमा स्ट्रोक आने की संभावना कई गुना कम हो जाती है।
सूर्यभेदी प्राणायाम:-
बढ़ते वायु प्रदूषण से बचने के लिए सूर्य भेदी प्राणायाम करना भी बहुत फायदेमंद होता है। सूर्यभेदी प्राणायाम में दाईं नासिका छिद्र से सांस ली जाती है और फिर बाईं तरफ से सांस को छोड़ देते हैं। ठंड के दिनों में शरीर को गर्म रखने के लिए यह एक सबसे उपयोगी और अद्भुत प्राणायाम है। सूर्यभेदी प्राणायाम से शरीर के तापमान का संतुलन बनाए रखने में भी मदद मिलती है।