देश-दुनिया। बीते समय में भारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में कई बार तगड़े भूकंप के झटके महसूस किए गए। वहीं तुर्की में आए भूकंप ने भारी पैमाने पर तबाही मचाई थी। अब वैज्ञानिकों को प्रशांत महासागर के अंदर कुछ ऐसा दिखा है, जिससे उन्हें डर है कि धरती पर सबसे बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। बताया जा रहा है कि वैज्ञानिकों को प्रशांत महासागर में फॉल्ट लाइन पर कई बड़े छेद मिले हैं। ये फॉल्ट लाइन कनाडा के वैंकुवर से अमेरिका के कैलिफोर्निया तक फैली हुई है। प्रशांत महासागर के इस क्षेत्र को कैस्केडिया सब-डक्शन ज़ोन के तौर पर पहचाना जाता है।
वैज्ञानिकों को मिली जानकारी के मुताबिक उन्होंने बताया कि प्रशांत महासागर के तल में ऐसी संरचना पहली बार देखी हैं। उनका कहना है कि हालात ऐसे ही बने रहे तो धरती पर सबसे बड़ा खतरा प्रशांत महासागर के तल में मौजूद इस छेदों की वजह से ही आएगा। इन छेदों के कारण आने वाला भूकंप धरती पर मौजूद हर चीज को तबाह करने के लिए काफी होगा।
क्यों आएगा बड़ा भूकंप?
वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया कि प्रशांत महासागर की तलहटी में मौजूद इन विशाल होल्स से लगातार एक खास तरह का गर्म तरल पदार्थ निकल रहा है। यही नहीं, जिस जगह पर ये घटना हो रही है, वो ठीक वहां है, जहां जमीन में दो तरह की टेक्टोनिक प्लेट्स टकराती हैं। वैज्ञानिकों को अंदेशा है कि यदि ये गर्म तरल पदार्थ ऐसे ही निकलता रहा तो प्लेट्स बेकाबू हो जाएंगी। जिससे भीषण तबाही मचाने वाले भूकंप के झटके आ सकते हैं। यही नहीं, महासागर में भयंकर भूकंप आने पर विनाश करने वाली सुनामी भी आने की आशंका जताई जा रही है।
अनियंत्रित हो सकती हैं प्लेट्स?
शोधकर्ताओं के अनुसार बताया जा रहा है कि प्रशांत महासागर के अंदर फॉल्ट लाइन पर पानी का तापमान 500 फॉरेनहाइट तक रहता है। ऐसे में तल में मौजूद होल्स से रिसने वाले गर्म तरल पदार्थ के कारण प्लेट्स अनियंत्रित हो सकती हैं। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक इवान सोलोमन का बताया कि इस रिसाव को पाइथिया का ओएसिस कहते हैं। यदि यही रिसाव समुद्र तल में दूसरी जगहों पर भी होने लगा तो मुसीबत सोच से बहुत बड़ी हो सकती है। शोध में शामिल प्रोफेसर डी. केली को आशंका है कि गर्म तरल पदार्थ का ये रिसाव जमीन के अंदर मौजूद प्लेट्स से भी हो सकता है।
वैज्ञानिक ने कभी नहीं देखा ऐसा कुछ भी
वैज्ञानिक सोलोमन ने बताया कि उन्हें समंदर के अंदर बुलबुले उठते हुए दिखाई दिए। उनको लगा कि ये बुलबुले मीथेन गैस के कारण बन रहे होंगे। लेकिन, जब वह प्रशांत महासागर के तल में पहुंचे तो उनकी थ्योरी पूरी तरह से गलत साबित हुई। उन्होंने देखा कि वहां का पानी ऐसा हो रहा था, जैसे नीचे कोई बहुत बड़ी भट्टी लगातार जल रही हो, जिससे पानी खौलने लगा हो। उन्होने बताया कि उन्होंने कभी ऐसा होते हुए नहीं देखा था। तथा यह भी कहा कि इसके ही कारण उत्तरी अमेरिका के तटीय इलाकों में बड़े भूकंप आ सकते हैं।