Chandrayaan 3 live streaming: अंतरिक्ष की दुनिया में आज भारत इतिहास रचने वाला है। आज के दिन का पूरी दुनिया को बेसबरी से इंतजार था। लेकिन अब बस महज कुछ घटों की ही देर है जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का मिशन चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर ‘साफ्ट लैंडिंग’ करेगा। आपको बता दें कि चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर साफॅट लैडिंग का ये ऐतिहासिक पल का लाइव प्रसारण होगा जिससे पूरी दुनिया इस पल को देखकर इसे महसूस कर सके।
पहले जानिए इसरो ने क्या कहा…
दरअसल, इसरो ने रविवार को कहा था कि यह उपलब्धि भारतीय विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी। यह अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की प्रगति का प्रतीक होगी। मिशन तय समय पर है। सिस्टम कीजांच भी नियमित रूप से की जा रही है। इसके साथ ही मिशन की निगरानी कर रहे लोग भी जोश और ऊर्जा से भरे हुए हैं।
ISRO ने बताया है कि चंद्रयान-3 बुधवार को शाम 06:04 बजे चांद पर उतरेगा। इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम का सीधा प्रसारण 23 अगस्त 2023 को भारतीय समयानुसार शाम 17:20 बजे शुरू किया जाएगा। ‘सॉफ्ट-लैंडिंग’ का सीधा प्रसारण इसरो की वेबसाइट के अलावा ISRO यूट्यूब चैनल, फेसबुक पेज पर होगा। इसके अलावा डीडी नेशनल टीवी चैनल सहित कई मंचों पर यह लाइव देखा जा सकता है।
इन चरणो में होगी लैडिंग
- पहला चरण – इस चरण में यान की सतह से 30 किमी की दूरी को घटा कर 7.5 किमी पर लाया जाएगा।
- दूसरा चरण – इसमें सतह से दूरी 6.8 किमी तक लाई जाएगी। इस चरण तक चंद्रयान का वेग 350 मीटर प्रति सेकंड रह जाएगा, यानी शुरुआत से करीब साढ़े चार गुना कम।
- तीसरा चरण – इसमें यान को चंद्र सतह से महज 800 मीटर की ऊंचाई तक लाया जाएगा। यहां से दो थ्रस्टर इंजन उसे उतारेंगे। इस चरण में यान का वेग शून्य प्रतिशत सेकंड के बेहद करीब पहुंच जाएगा।
- चौथा चरण – इस चरण में यान को सतह के 150 मीटर करीब तक लाया जाएगा। इसे वर्टिकल डिसेंट कहते हैं, यानी खड़ी लैंडिंग।
- पांचवां चरण – इस चरण में यान में लगे सेंसर और कैमरा से मिल रहे लाइव इनपुट को पहले से स्टोर किए गए रेफरेंस डाटा से मिलाया जाएगा। इस डाटा में 3,900 तस्वीरें भी शामिल हैं, जो चंद्रयान 3 के उतरने वाली जगह की हैं। इस तुलना से निर्णय होगा कि चंद्र सतह से ऊपर जहां लैंडर स्थित है, वहां से उसे सीधे सतह पर उतारें तो लैंडिंग सही रहेगी या नहीं। अगर ऐसा लगा कि लैंडिंग की जगह अनुकूल नहीं है, तो वह थोड़ा दाईं ओर या बाईं ओर मुड़ेगा। इस चरण में यान चंद्र सतह के 60 मीटर तक करीब पहुंचाया जाएगा।
- छठा चरण – यह लैंडिंग का आखिरी चरण है, इसमें लैंडर को सीधे चंद्र सतह पर उतार दिया जाएगा।
रोवर और लैंडर
- रोवर प्रज्ञान को विक्रम के भीतर रखा गया है। इसे सफल लैंडिंग के बाद चंद्र सतह पर उतारा जाएगा। दो प्रमुख उपकरण हैं, अल्फा पार्टिकल एक्साइट स्पेक्ट्रोमीटर (एपीईएस) और लेजर-इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी (एलआईपीएसई)। दोनों का काम चंद्रमा की सतह पर चीजों को नापना, खनिजों व सामग्री के बारे में जानकारियां मुहैया करवाना होगा।
- लैंडर विक्रम में 4 प्रमुख उपकरण हैं। उपकरणों में रेट्रोरिफ्लेक्टर शामिल है, जो चंद्रमा से धरती के बीच रेंजिंग को अंजाम देगा। सिस्मोग्राफ भूगर्भीय प्रक्रियाओं को समझने में मदद करेगा। रंभा वातावरण में प्लाज्मा का घनत्व नापेगा। चौथा उपकरण चंद्रा सरफेस थर्मोफिजिकल परीक्षण है जो सतह के ऊपरी आवरण रिगोलिथ की तापीय परिचालकता मापेगा।