नई दिल्ली। देश में कोयले की कमी से बिजली उत्पादन प्रभावित होने के कारण दुनिया की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने गैर ऊर्जा क्षेत्र को कोयले की आपूर्ति अस्थायी रूप से रोक दी है। सीआईएल की सहयोगी कंपनी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड द्वारा हाल में लिखे गए एक पत्र में यह खुलासा किया गया है। पत्र में कहा गया है कि गैर ऊर्जा क्षेत्र की इकाइयों को कोयले की आपूर्ति अगली सूचना तक स्थगित की जाती है। कोल इंडिया लिमिटेड ने भी कहा है कि उसने ऊर्जा क्षेत्र को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों के लिए कोयले की ऑनलाइन नीलामी अस्थायी रूप से रोक दी है। इस बारे में सीआईएल के एक अधिकारी ने बताया कि देशहित में यह सिर्फ एक अस्थायी व्यवस्था है, जिसके तहत कोयले के कम भंडारण वाले बिजली संयंत्रों को आपूर्ति बढ़ाई जा रही है। अधिकारी ने बताया कि कंपनी कोयले का उत्पादन भी बढ़ा रही है। पिछले चार दिनों से सीआईएल से बिजली कंपनियों को प्रतिदिन 16.1 लाख टन कोयले की आपूर्ति हो रही है। एक बार स्थिति सुधरने के बाद दूसरे क्षेत्रों को नियमित कोयला मिलने लगेगा। अधिकारी ने उम्मीद जताई कि जल्द ही बिजली संयत्रों के पास कोयले का पर्याप्त भंडार हो जाएगा। गैर ऊर्जा क्षेत्र में वर्तमान वित्त वर्ष की पहली छमाही में करीब 62 लाख टन कोयले की मांग थी जो पिछले वर्ष की समान अवधि से करीब 10 प्रतिशत अधिक है। बिजली कंपनियों का बुधवार को 20 लाख टन कोयले की आपूर्ति की गई थी। इसमें कोल इंडिया लिमिटेड की सर्वाधिक हिस्सेदारी थी। भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश है। इससे पहले केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा था कि मानसून के कारण कुछ खदानों के बंद होने से और कुछ में जलभराव हो जाने की वजह से कोयले का संकट आया है। हालांकि उन्होंने कहा कि घबराने की कोई बात नहीं है क्योंकि स्थिति बेहतर हो रही है। जोशी ने आज झारखंड के छत्र जिले में सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) की अशोक खदान का दौरा किया। यहां उन्होंने कहा कि देश के पावर प्लांट्स को कोयले की आवश्यक मात्रा की आपूर्ति होती रहेगी।