नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (पीएसी) में पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेशों को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। अदालत ने कहा कि एक सक्षम प्राधिकारी द्वारा की गई भर्ती प्रक्रिया एक टाइमलाइन के बिना अर्थहीन होगी। शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट की एक खंडपीठ द्वारा पारित अगस्त 2019 के आदेश के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य द्वारा दायर अपील की अनुमति दी, जिसने एकल न्यायाधीश के एक आदेश को बरकरार रखा था। एकल न्यायाधीश ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता, जो भर्ती प्रक्रिया में उम्मीदवारों में से एक था, उसे वर्ष 2015 में विज्ञापित भर्ती के अनुसार कांस्टेबल के पद के लिए दस्तावेज सत्यापन और शारीरिक फिटनेस परीक्षण के लिए उपस्थित होने की अनुमति दी जाए। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि किसी भी मामले में किसी न किसी स्तर पर एक रेखा खींची जानी चाहिए अन्यथा, सक्षम अधिकारियों द्वारा की गई भर्ती प्रक्रिया बिना समय सीमा के व्यर्थ होगी और अगली भर्ती प्रक्रिया पर भी इसका असर पड़ेगा। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि भर्ती प्रक्रिया 2015 में शुरू हुई थी और शारीरिक फिटनेस परीक्षण के साथ दस्तावेज़ सत्यापन 2018 में आयोजित किया गया था।