नई दिल्ली। दिवाली के पर्व में पटाखों के बजाय दीप जलाने को प्राथमिकता दें। खतरनाक पटाखों से बच्चों और बुजुर्गों को दूर ही रखें। बच्चों को बड़ों की मौजूदगी में ही आतिशबाजी करने दें। आतिशबाजी के वक्त बड़े भी लापरवाही करते हैं। ऐसे में आतिशबाजी से पहले सुरक्षा के जरूरी इंतजाम कर लें। पानी, बालू से भरी बाल्टियां अपने पास रखें ताकि जरूरत प्राथमिक स्तर पर आग आदि से बचाव किया जा सके। राजकीय जिला अस्पताल कोरोनेशन के वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डॉ. कुश ऐरन ने बताया कि दीपावली में खासकर झुलसने की घटनाएं अनार से होती हैं। पटाखों में रसायन होने के कारण इसके झुलसने से त्वचा व आंख को अधिक खतरा रहता ही है। अनार, रॉकेट व पटाखे आदि के धुएं से सांस के रोगियों को भी दिक्कत होती है। दून मेडिकल अस्पताल के वरिष्ठ सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि सांस के रोगियों और बुजुर्गों को पटाखे के धुएं से बचना चाहिए। दिक्कत बढ़ने पर विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सुशील ओझा ने बताया कि पिछले वर्षों के आंकड़े देखें तो दिवाली पर पटाखों से आंखों के झुलसने के मामले बढ़ जाते हैं। पटाखों के धुएं से आंखों में जलन, खुजली आदि दिक्कतें भी होती हैं। ऐसे में आतिशबाजी से आंखों को बचाएं।