नई दिल्ली। लगातार महंगाई की मार सह रही जनता के लिए थोड़ी राहत की बात है कि जून माह में थोक मूल्य सूचकांक आधारित दर (डब्ल्यूपीआई) में कुछ कमी आई है और यह 15.18 प्रतिशत पर आ गया है। गेहूं और चीनी के निर्यात पर रोक लगाने और पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क घटाने के कारण ही इस दर में कमी आयी है। मई 2022 में यह 15.88 प्रतिशत के स्तर पर थी और जून 2021 में यह 12.07 प्रतिशत थी।
केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि एक-एक उत्पाद की कीमतों की निगरानी और महंगाई पर रोक के लिए उचित और सटीक उपायों की जरूरत है। भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार को भी सतर्क रहना होगा। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में भी कमी लाने की जरूरत है। सरकार ने हाल में ही जीएसटी दरों में जो बदलाव किया है उससे महंगी बढ़ सकती है। थोक महंगी दर बिगत 15 महीने से लगातार दहाई के आंकड़े में बना हुआ है।
गुरुवार को केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार खनिज तेलों के दामों में तेजी, खाने- पीने की वस्तुओं की कीमतों में उछाल, महंगे कच्चे पेट्रोलियम पदार्थों और प्राकृतिक गैस, धातुओं, रसायन और रासायनिक उत्पादों के चलते जून में थोक महंगाई दर में तेजी देखने को मिल रहा है। थोक महंगाई दर में वृद्धि का मुख्य कारण खाने-पीने की वस्तुओं का महंगा होना है।
जून में खाद्य महंगी दर बढ़कर 12.41 प्रतिशत के स्तर पर जा पहुंची है। इसलिए महंगाई के विरुद्ध अभी अनेक प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। अन्तरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल प्रति बैरल सौ डालर के नीचे आ गया है। एक माह में बीस डालर तक की गिरावट आई है। इससे महंगाई में गिरावट आ सकती है। कच्चा तेल इस वर्ष मार्च में 130 डालर प्रति बैरल पर पहुंच गया था। देश में महंगाई में कमी लाने की दिशा में सरकार ने भी विशेष योजना तैयार की है।