नई दिल्ली। दिवाली पर अक्सर पटाखों से जलने के केस अस्पतालों में पहुंचते हैं। इससे निपटने के लिए अस्पतालों को पहले से तैयारियां करनी पड़ती हैं। अस्पतालों ने इनसे निपटने के लिए इस बार भी कमर कस ली है। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि पटाखों पर बैन होने के चलते बर्न के केस कम आने की उम्मीद है, लेकिन बुधवार को दिल्ली सरकार ने सभी अस्पतालों को अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए हैं। साथ ही अस्पताल के बर्न विभाग और इमरजेंसी को सक्रिय रहने का निर्देश दिया है। नई दिल्ली स्थित केंद्र सरकार के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के बर्न विभाग को अलर्ट पर रखा गया है। इमरजेंसी में आने वाले केसों को सीधे विभाग में ही भेजा जाएगा। दिवाली के एक दिन बाद अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर को 24 घंटे खुला रखने का निर्णय लिया है। खुद सीनियर डॉक्टर बर्न मरीजों को देखेंगे। विभाग के डॉ मनोज झा का कहना है कि बर्न केस से निपटने के लिए दवाओं और ब्लड का स्टॉक एकत्रित कर लिया है। यदि किसी केस में बर्न इंजरी बेहद ज्यादा है और आईसीयू की जरूरत है, तो 2 आईसीयू बेड रिजर्व कर लिए गए हैं। उनका कहना है कि साल 2019 में प्री-दिवाली और पोस्ट दिवाली बर्न के लगभग 50 से 60 केस आए थे। इनमें से कुछ एक केस ऐसे थे, जिनमें मेजर इंजरी थी। हालांकि कोरोना महामारी और पटाखों पर प्रतिबंध होने के चलते मामले कम आने की उम्मीद है। उधर सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आरके आर्या ने बताया कि उनके यहां भी दिवाली को लेकर तैयारी पूरी है। इमरजेंसी विभाग में वरिष्ठ डॉक्टरों को तैनात किया है। उनका कहना है कि बर्न डिपार्टमेंट के साथ ही आंखों और सांस की परेशानी से जुड़े सीनियर डॉक्टर भी उस दिन अस्पताल में मौजूद रहेंगे। चूंकि कई बार ऐसे केस आते हैं, जिनमें पटाखों से निकलने वाला बारूद या अन्य चीज आंख में चली जाती है और इंजरी गंभीर हो जाती है। इसलिए सीनियर ऑप्थमालजिस्ट ने भी मौजूद रहेंगे। वहीं रेसिपिरेटरी टीम भी तैयार हैं। खासकर अस्थमा मरीज इन दिनों काफी आते हैं, जिसके चलते इन्हें भी अस्पताल में तैनात रहने के लिए कहा गया है। दिल्ली गेट स्थित लोकनायक अस्पताल के अलावा डीडीयू, डॉ. भीमराव आंबेडकर, डॉ. हेडगेवार, लाल बहादुर शास्त्री और महर्षि वाल्मीकि अस्पताल में इमरजेंसी व्यवस्था की गई है। दिल्ली के चाचा नेहरु अस्पताल और जीटीबी में भी खासतौर पर इंतजाम किए हैं।