लाइफ स्टाइल। वर्तमान में लोग डिजिटलाइज होते जा रहे हैं। इंटरनेट ने हर काम को आसान बना दिया है। आपके एक बटन क्लिक करने मात्र से बहुत सारे काम मिनटों में हो जाते हैं। हालांकि इंटरनेट के उपयोग से जितने फायदे हैं, उतना ही इसका दुष्प्रभाव भी बढ़ा है। इंटरनेट के उपयोग का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव बच्चों में देखने को मिलता है। बच्चों के जीवन पर इंटरनेट का असर इस कदर बढ़ रहा है जो उन्हें मानसिक और शारीरिक तौर पर कमजोर बना सकता है। हालांकि यूनिसेफ भी इंटरनेट से बचाव के लिए स्टे सेफ ऑनलाइन कैंपेन चला रही है। इसके अलावा इंटरनेट के उपयोग के दुष्प्रभावों को रोकने और सही तरह से इसके उपयोग को लेकर प्रतिवर्ष ‘सुरक्षित इंटरनेट दिवस मनाया जाता है। यह दिन फरवरी के दूसरे हफ्ते के दूसरे दिन होता है। इस वर्ष 2023 में सेफर इंटरनेट डे 7 फरवरी को मनाया जा रहा है। आइए जानते हैं बच्चों पर इंटरनेट के दुष्प्रभावों के बारे में-
इंटरनेट एडिक्शन का खतरा:-
किसी भी चीज की लत मानसिक तौर पर व्यक्ति को कमजोर बना सकती है। इंटरनेट की लत नशे की लत जैसी ही है, जो शरीर और मस्तिष्क दोनों के लिए हानिकारक है। इंटरनेट के अत्यधिक प्रयोग से बच्चा इसका आदि हो जाता है और आसपास घट रही घटनाओं से अचेत रहने लगता है। बच्चा अपनी ही दुनिया में मस्त रहने लगता है, जिसका सीधा असर उसकी मानसिक स्थिति पर पड़ता है, साथ ही उसकी शारीरिक एक्टिविटी भी कम होने लगती है।
गुस्सा और चिड़चिड़ापन:-
बच्चे घंटों फोन या कंप्यूटर पर आंखें गड़ाए गेम खेलते है या सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन जब उससे कुछ देर के लिए फोन ले लिया जाए तो वह गुस्सा करने लगता है। बच्चे में इंटरनेट की उपयोग की आदत उसे चिड़चिड़ा बना सकती है। यह मानसिक बदलाव की निशानी है।
अवसाद की स्थिति:-
इंटरनेट का अत्यधिक उपयोग अवसाद की भी वजह बन सकता है। शोध के मुताबिक, इंटरनेट का अधिक उपयोग करने वाले लोगों में डिप्रेशन का खतरा सबसे ज़्यादा होता है। इंटरनेट की लत के कारण किशोर या बच्चे मानसिक रूप से विचलित हो जाते हैं और दैनिक कार्यों को निपटाने में ज्यादा परेशानी महसूस करते हैं।
अनिद्रा की शिकायत:-
अक्सर मोबाइल या इंटरनेट का अधिक उपयोग करने वाले किशोर व युवा गंभीर चिंता के शिकार रहते हैं और रात में उन्हें नींद नहीं आती। बच्चे इंटरनेट का उपयोग देर रात तक करते हैं और बहुत देर रात तक सो नहीं पाते। इस कारण इंटरनेट को अनिद्रा का कारण भी माना जा सकता है। खाली वक्त में दोस्तों से चैट करने, सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने या इंटरनेट ब्राउजिंग में उनका समय व्यय होता है और आंखों व शरीर को आराम नहीं मिल पाता।
शारीरिक विकास में रुकावट:-
बच्चों के लिए स्कूली शिक्षा के साथ ही खेलकूद की गतिविधियों में शामिल होना भी जरूरी है। इससे उनका शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास होता है। स्कूलों में बच्चों के शारीरिक विकास को ध्यान में रखते हुए स्पोर्ट पीरियड होता है ताकि शारीरिक गतिविधियों के जरिए उनकी मांसपेशियाँ रिलैक्स हो सके और शारीरिक स्वस्थ रह सकें। लेकिन मोबाइल के इस्तेमाल की लत के कारण बच्चा दिनभर बैठा या लेटा रहता है। शारीरिक सक्रियता कम होती है। इससे शारीरिक विकास में रुकावट आती है।
यूनिसेफ का स्टे सेफ ऑनलाइन कैंपेन:-
यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में सभी इंटरनेट यूजर्स का एक तिहाई बच्चे हैं। यहां तक कि उन देशों में भी जहां समग्र रूप से इंटरनेट की पहुंच अपेक्षाकृत कम है, युवाओं में इंटरनेट का उपयोग राष्ट्रीय औसत से दोगुना है। संचार प्रौद्योगिकियों के तेजी से विस्तार के बीच दुनिया में बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा करना एक तत्काल वैश्विक प्राथमिकता है।
बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए यूनिसेफ स्टे सेफ ऑनलाइन कैंपेन चला रहा है। यूनिसेफ इंडिया असली दोस्त #Staysafeonline अभियान का उद्देश्य लड़कों और लड़कियों के बीच ऑनलाइन दुनिया को सुरक्षित रूप से नेविगेट करने के बारे में जागरूक करता है। इसके लिए आप सच्चे दोस्त से मदद या सलाह ले सकते हैं या किसी बड़े की बात पर विश्वास करके चर्चा कर सकते हैं या फिर चाइल्ड लाइन 1098 पर दिन और रात किसी भी वक्त कॉल कर सकते हैं।