पूजा करते समय ध्‍यान दें ये बातें…

वास्‍तु। हमारे जीवन में वास्तु शास्त्र का काफी महत्व होता है। यदि इसके अनुसार कार्य नहीं करते हैं तो हमारे जीवन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, हिंदू धर्म में किसी भी शुभ काम को करने से पहले देवी-देवता की पूजा की जाती है। मान्यताओं में पूजा करने के भी अलग-अलग तरीके बताए गए हैं।

अक्सर लोग पूजा के वक्त कुछ गलतियां कर बैठते हैं। जिसका सीधा असर घर के धन और आपके जीवन पर होता है। वास्तु शास्त्र में कई  ऐसी चीजें बताई गई जो आपको कभी भी पूजा के दौरान नहीं करनी चाहिए। आइए जानते हैं शास्त्रों में पूजा-अर्चना में किस कार्य को करना वर्जित माना गया है-  

पूजा के दौरान भूलकर भी न करें ये काम:-

  1. कभी भी गणेश जी को तुलसी पत्र और मंजरी न चढ़ाएं।
  2. मां दुर्गा को दूर्वा नहीं चढ़ानी चाहिए।
  3. भगवान शिव को केतकी का फूल न चढ़ाएं।
  4. विष्णु जी की मूर्ति पर अक्षत यानी चावल न चढ़ाएं।
  5. घर के किसी मंदिर में दो शंख एक साथ न रखें।
  6. मंदिर में तीन गणेश की मूर्ति न रखें।
  7. तुलसी पत्र चबाकर न खाएं।
  8. द्वार पर जूते चप्पल उल्टे न रखें।
  9. मन्दिर में दर्शन करके वापस लौटते समय घंटा न बजाएं।
  10. एक हाथ से आरती नहीं लेनी चाहिए।
  11. ब्राह्मण को बिना आसन न बैठाएं।
  12. स्त्री द्वारा दंडवत प्रणाम वर्जित है।
  13. बिना दक्षिणा ज्योतिषी/पुरोहित से प्रश्न नहीं पूछना चाहिए।
  14. घर में अंगूठे से बड़ा शिवलिंग न रखें।
  15. तुलसी के पेड़ में शिवलिंग किसी भी स्थान पर न रखें।
  16. गर्भवती महिला को शिवलिंग स्पर्श नहीं करना चाहिए।
  17. स्त्री द्वारा मंदिर में नारियल फोड़ना वर्जित है।
  18. शिव जी की पूरी परिक्रमा नहीं किया जाता।
  19. शिवलिंग से बहते जल को लांघना नहीं चाहिए।
  20. दूसरे के दीपक में अपना दीपक जलाना नहीं चाहिए।
  21. पंचामृत अथवा चरणामृत लेते समय दाएं हाथ के नीचे एक नैपकीन रखें ताकि एक बूंद भी नीचे न गिरे।
  22. पंचामृत पीकर हाथों को माथे या शिखा पर न पोछें बल्कि आंखों पर लगाएं, शिखा पर गायत्री का निवास होता है उसे अपवित्र न करें।
  23. मंदिर में प्रवेश के समय पहले दाहिना पैर और निकास के समय बाया पांव रखना चाहिए।
  24. मन्दिर की घंटी को इतनी जोर से न बजाएं कि उससे कर्कश आवाज उत्पन्न हो।
  25. अगर हो सके तो मंदिर जाने के लिए एक जोड़ी वस्त्र अलग ही रखें।
  26. मंदिर अगर ज्यादा दूर नहीं है तो बिना जूते चप्पल के ही पैदल जाना चाहिए।
  27. मंदिर से खड़े खड़े वापिस नहीं हों, दो मिनट बैठकर ही आएं।

 

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