हेल्थ। सिगरेट के डिब्बे पर लिखी वैधानिक चेतावनी को अधिकांश लोग जानकर भी नजरअंदाज करते हैं। वे जानते हैं कि इससे नुकसान हो सकता है, इसके बावजूद वे यह विचार मन में रखते हैं कि नजरअंदाज करने से शायद मुश्किल भी टल जाएगी। क्या सच में ऐसा होता है? जवाब है नहीं। हो सकता है सिगरेट के धुएं या निकोटीन से होने वाली समस्या हर व्यक्ति को अलग अलग तरह से परेशान करे या अलग अलग समय पर परेशान करे, लेकिन परेशानी तो होगी ही।
डायबिटीज, एक आम बनती जा रही समस्या है। मुश्किल यह है कि इस समस्या से जुड़े परिणाम आम नहीं होते। अनियंत्रित रहने पर यह कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है। स्मोकिंग के आदि हो चुके लोगों में यह दोनों तरह से परेशानी का सबब बन सकती है। यदि डायबिटीज है और आप सिगरेट पीते हैं, यदि आपको डायबिटीज नहीं हैं लेकिन सिगरेट पीते हैं तो भी, ब्लड शुगर का अनियंत्रित स्तर आपके लिए मुश्किल खड़ा कर सकता है। इसलिए जरूरी है कि सिगरेट के डिब्बे पर लिखी गई चेतावनी को नजरअंदाज करना बंद कर दें।
शुगर और असंतुलन –
यह याद रखना सबसे ज्यादा जरूरी है कि डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो रिवर्स नहीं होती। लेकिन यह भी उतना ही सही है कि इस बीमारी को शुरूआती अवस्था में ही कंट्रोल में ले आना बहुत आसान होता है। इतना ही नहीं यदि नियंत्रण के सभी उपाय, सही तरीके से अपनाये जाएँ तो जीवन भर इसे कंट्रोल में रखकर अच्छी जिंदगी जिया जा सकती है। हमारे शरीर में पेट में पीछे की ओर एक छोटा सा अंग पैंक्रियाज होता है । इस अंग की भूमिका डायबिटीज के मामले में बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इसी जगह बनता है इन्सुलिन हार्मोन जिसके असंतुलन से ही डायबिटीज की स्थिति पनपती है ।
निकोटीन का बुरा असर –
अध्ययनों की मानें तो सिगरेट पीने वालों को टाइप-2 डायबिटीज होने की आशंका सिगरेट न पीने वालों की तुलना में 30-40 प्रतिशत तक अधिक हो सकती है। वहीं अगर पहले से डायबिटीज है तो ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखना मुश्किल होता है। सिगरेट में मौजूद निकोटीन न केवल ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ाता है बल्कि इसकी वजह से इन्सुलिन रजिस्टेंस, कोशिकाओं की सूजन और वजन बढ़ने जैसी स्थितियां भी पनप सकती हैं जो कहीं न कहीं डायबिटीज से जुड़ती हैं। इतना ही नहीं निकोटीन की वजह से बुरे कोलेस्ट्रॉल और ट्रायग्लिसराइड की मात्रा बढ़ने लगती है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा घटने लगती है। ये भी आगे जाकर टाइप-2 डायबिटीज से जुड़ते हैं।
अगर पहले से है डायबिटीज –
आप सिगरेट पीते हैं और पहले से डायबिटीज के भी मरीज हैं तो यह करेला और नीम चढ़ा की कहावत को सच कर सकता है। डायबिटिक लोगों में निकोटीन की वजह से ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखना मुश्किल होने लगता है। यदि आप इन्सुलिन लेते हैं तो इसकी मात्रा को बढ़ाना पड़ सकता है। धूम्रपान के साथ अनियंत्रित डायबिटीज मिलकर पूरे शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है। इससे हृदय रोगों, आँखों की समस्याओं, स्ट्रोक, किडनी की समस्याओं, नर्व डैमेज और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। यह उन लोगों की तुलना में भी अधिक होता है जो डायबिटिक हैं लेकिन धूम्रपान नहीं करते।
इस तरह से लें मदद –
सबसे अच्छा और पहला उपाय है सिगरेट छोड़ देना लेकिन यह आसान बिलकुल भी नहीं है। परन्तु यह असंभव भी नहीं है। इसलिए सिगरेट को धीरे धीरे छोड़ने के रास्ते पर बढ़ें। शुरुआत में सिगरेट छोड़ने के बाद आपका ब्लड शुगर स्तर बढ़ भी सकता है लेकिन इससे परेशान होने की जरूरत नहीं। आप जितने लम्बे समय तक सिगरेट से दूर रहेंगे, आपका इन्सुलिन रजिस्टेंस उतना ही अच्छा होता जायेगा। यदि आप स्वयं इस लत को नहीं छोड़ पा रहे हैं तो किसी प्रोफेशनल की मदद भी ले सकते हैं। इसके अलावा काउंसलिंग, निकोटीन रिप्लेसमेंट थैरेपी, एंटीडिप्रेसेंट्स, इन्सोम्निया का इलाज आदि का उपयोग भी विशेषज्ञ की सलाह से किया जा सकता है।