वास्तु। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की प्रत्येक चीज का वहां रहने वाले लोगों पर प्रभाव पड़ता है। वास्तु के नियमों का पालन करने से व्यक्ति सुखी और सम्पन्न रहता है, वहीं इनकी अवेहलना करने पर व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि घर का शौचालय उचित दिशा में होना चाहिए। शौचालय चाहे कितना भी सुंदर क्यों न हो, यदि इसका निर्माण वास्तु के ऊर्जा नियमों के अनुसार नहीं हुआ है तो ये नकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि करता है, जो उस घर की खुशहाली, समृद्धि और वहां के निवासियों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, साथ ही साथ बच्चों का करियर और पारिवारिक रिश्ते भी खराब हो सकते हैं। अलग-अलग दिशाओं में बने शौचालय का प्रभाव भी अलग-अलग होता है। यह दिशा है श्रेष्ठ:- वास्तुशास्त्र के हिसाब से दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम दिशा को विसर्जन के लिए उत्तम माना गया है। अतः इस दिशा में टॉयलेट का निर्माण करना वास्तु की दृष्टि में सबसे अच्छा होता है। उत्तर-पश्चिम दिशा में बना शौचालय वहां रहने वाले निवासियों के मन से बेकार की संवेदनाओं को बाहर निकालने में सहायता करता है। अतः उत्तर दिशा में वायव्य कोण के निकट टॉयलेट का निर्माण किया जा सकता है। लेकिन हमेशा ध्यान रखें कि ईशान,आग्नेय, पूर्व और भवन के बीच कभी भी शौचालय नहीं बनाया जाना चाहिए। नहीं होगी तरक्की:- घर की उत्तर दिशा में बना शौचालय रोजगार संबंधी परेशानियों को उत्पन्न करता है। इस दिशा में बने शौचालय वाले घरों में रहने वाले लोगों को धन कमाने के अवसर मुश्किल से ही मिल पाते हैं और वे अपने जीवन में आगे भी नहीं बढ़ पाते हैं। रोग उत्पन्न होंगे:- उत्तर-पूर्व दिशा ईश की मानी गई है अतः यहां टॉयलेट होने से शारीरिक और मानसिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इस दिशा में बना शौचालय परिवार के सदस्यों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर बना देता है। यहां बने शौचालय का प्रयोग करने वाले लोग अक्सर मौसमी बीमारियों की वजह से लगातार बीमार पड़ते हैं। दवाओं का सेवन करने के बाद भी उन्हें ठीक होने में काफी वक्त लग जाता है। रिश्ते होंगे खराब:- पूर्व दिशा का संबंध सूर्य से है, यह सामाजिक संबंधों की दिशा भी है। अतः इस दिशा में शौचालय होने से यह सामाजिक रिश्तों को खराब करता है। हाँ इस दिशा में स्न्नानाघर शुभ माना गया है। मांगलिक कार्य होते हैं बाधित:- इस दिशा में बना शौचालय जीवन की मुश्किलों को बढ़ाता है। इस दिशा में टॉयलेट होने से मांगलिक कार्य बाधित हो सकते हैं और धन के आगमन में भी रूकावट खड़ी कर सकता है। हाँ,पूर्व-दक्षिण-पूर्व की ओर बना शौचालय अच्छा होता है,यह परिवार के सदस्यों की चिंता को कम करने में मदद करता है। नहीं मिलेगा मान-सम्मान:- आराम और प्रसिद्धि के जोन दक्षिण में बना शौचालय परिवार के सदस्यों के तनाव को ज्यादा कर सकता है। ऐसे घर में रहने वाले लोगों को मान-सम्मान और प्रसिद्धि नहीं मिलती है। नहीं रहेगा प्रेम:- इस क्षेत्र के संतुलित होने पर पारिवारिक रिश्ते और आपसी तालमेल अच्छा बना रहता है। वहीं आपसी संबंधों और जुड़ाव की इस दिशा में शौचालय, पारिवारिक रिश्तों में कड़वाहट घोल सकता है। नहीं होगा लाभ:- प्राप्तियों और लाभों के जोन पश्चिम में शौचालय होने से आपके विकास में बाधा आ सकती है। ऐसे घर में रहने वाले लोग खूब मेहनत करने के बाद भी इच्छित परिणाम हासिल नहीं कर पाते हैं। इस दिशा में टायलेट होने से धन से जुड़ी हुई समस्या भी उत्त्पन्न हो सकती है।