धर्म। देवों के देव महादेव का स्थान सभी देवताओं में प्रमुख है। शास्त्रों में भगवान भोलेनाथ के अनेक रूपों का वर्णन मिलता है। भगवान शिव अपने शरीर पर विभिन्न वस्तुएं धारण करते हैं। शिव अपने माथे पर त्रिपुंड, जटा, चंद्रमा, गले में नाग और मुंडमाला आदि धारण करते हैं। भगवान शिव की सभी वस्तुओं का अपना महत्व है। शिव अपने गले में मुंड माला धारण करते हैं, जिसका खास महत्व होता है। तो आइए जानते हैं मुंडमाला क्या है और इसका महत्व क्या है?
सती के प्रेम का प्रतीक है मुंड माला :-
पौराणिक शास्त्रों के मुताबिक, मुंड माला भगवान शिव और माता सती के प्रेम का प्रतीक है। मान्यता है कि माता सती के अग्नि में समा जाने के बाद भगवान शिव अपनी पत्नी के वियोग में तांडव करने लगे थे, जो कि स्वयं शंकर भगवान द्वारा एक लीला रचाई गई थी। भगवान शिव पहले से ही सब जानते थे और माता सती को भी इसका आभास था। इसलिए माता सती ने भगवान शिव को मुंडमाला का रहस्य बताया था।
मुंड माला का रहस्य :-
शास्त्रों में वर्णित है कि मुंड माला 108 सिरों की है। एक बार भगवान शिव नारायण से कहते हैं कि इस मुंड माला में 108 सिर माता सती के हैं। उन्होंने बताया कि माता सती का 108वां जन्म हुआ है, इससे पहले भी 107 बार उन्होंने जन्म लेकर शरीर त्याग दिया था। यह सभी उनके ही प्रतीक हैं।
कहां से प्राप्त हुई मुंड माला :-
कहा जाता है कि सती के अग्नि में कूदने के बाद भगवान शिव ने उनके शरीर के अंशों से 51 पीठ स्थापित किए और सती के मुंड को अपनी माला में गूंथ लिया। इस तरह 108 मुंड की माला को भगवान शिव ने धारण कर लिया। कहते हैं कि सती ने माता पार्वती के रूप में अगला जन्म लिया था। इस जन्म के बाद पार्वती को अमरत्व प्राप्त हुआ जिसके बाद उन्होंने शरीर का त्याग नहीं किया।