गोरखपुर। रेड सिग्नल को पार करने पर दंडित लोको पायलट को फिर से ड्यूटी करने के लिए एक से ज्यादा साइको टेस्ट का मौका मिल सकता है। अभी तक एक बार ही टेस्ट का अवसर मिलता है, लेकिन रेलवे बोर्ड ने रेल यूनियनों की मांग पर पहल की है। सभी जोनल रेलवे से इस संबंध में एक पखवाड़े में सुझाव मांगा है।बता दें कि सिग्नल पास्ड एंड डेंजर के मामले में शामिल लोको पायलटों को रनिंग ड्यूटी पर वापस लाने से पहले साइको टेस्ट देना पड़ता है। कुछ रेलवे के यूनियनों ने इस संबंध में साइको टेस्ट फेल होने पर और अवसर देने की मांग की थी। हालांकि, इसे लेकर कुछ जोनल रेलवे का मत इसके विरूद्ध है।
उनका मानना है कि रनिंग स्टॉफ को मनोवैज्ञानिक परीक्षण के लिए केवल एक प्रयास की अनुमति दी जानी चाहिए। यदि कर्मचारी मनोवैज्ञानिक परीक्षण में विफल रहता है, तो उसे रनिंग ड्यूटी से निकालकर नॉन रनिंग ड्यूटी में तैनात किया जाना चाहिए। 14 नवंबर को रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक सुरक्षा-द्वितीय कैलाश प्रसाद यादव ने सभी क्षेत्रीय रेलवे के महाप्रबंधकों को पत्र लिखकर उनका विचार मांगा है। माना जा रहा है कि रेलवे बोर्ड इस मामले में लोको पायलटों के साथ सहानुभूतिपूर्ण निर्णय ले सकता है। जिसके बाद उन्हें साइको टेस्ट फेल होने के बाद दूसरा मौका भी दिया जाएगा। इस संबंध में पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ के महामंत्री विनोद राय का कहना है कि रेलवे बोर्ड के साथ नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे की बैठक में इस मुद्दे को उठाया गया था। लोको पायलट को फेल होने के बाद साइको टेस्ट के लिए एक और अवसर मिलना चाहिए।