पुष्कर/राजस्थान। परम पुज्य श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्री शिव महापुराण कथा में श्री गणेश विवाह महोत्सव पिता धर्म पिता कर्म माता हि परमं तपः। यस्योपरीति ता तुष्टा संतुष्टा सर्व देवता।। समस्त तीर्थों की यात्रा करने से जो फल मिलता है। द्वादश ज्योतिर्लिंग की यात्रा से, श्रीगंगा आदि पवित्र नदियों के स्नान से जो फल मिलता है, वही फल माता पिता की सेवा से मिल जाता है।
माता-पिता बड़ों की उपेक्षा करके, सामाजिक मर्यादाओं को तोड़कर, कितना भी तीरथ व्रत किया जाय कोई फल नहीं मिलता, अपितु मर्यादाओं को तोड़ने का दोष अवश्य लगता है। जिन मात पिता की सेवा करी, तिन तीरथ स्नान कियो न कियो। जिनके हृदय श्री राम वसे तिन और को नाम लियो न लियो।। कोई घर में बैठा मनन करें, कोई हरि मंदिर में ध्यान धरे। जिन मात पिता की सेवा करी, तिन तीरथ स्नान कियो न कियो।।
कोई मांगे सुंदर सी काया, कोई मांग रहा हरि से माया। जिनके द्वारे पे गंग बहे, तिन कूप को नीर पियो न पियो।। जिन कन्या धन को दान दियो, तिन और को दान दियो न दियो। जिन मात पिता की सेवा करी, तिन तीरथ स्नान कियो न कियो।। भगवान श्री गणेश जी एवं कार्तिकेय में यह निश्चित हुआ कि जो पूरी धरती की परिक्रमा करके पहले आयेगा उसका विवाह पहले होगा। कुमार कार्तिकेय मयूर वाहन पर विराजमान होकर पूरी धरती की परिक्रमा करने के लिये निकल गये।
बुद्धिमान गणेश ने शिव पार्वती की परिक्रमा किया, जिससे उनको पूरी धरती की परिक्रमा का फल प्राप्त हो गया और भगवान गणेश का विवाह रिद्धि सिद्धि के साथ हुआ। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।