दिवाली को इन तरीकों से बनाएं इको फ्रेंडली…

लाइफ स्टाइल।  दिवाली हर साल पूरे भारत में हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है। हिंदू धर्म के सबसे विशेष और महत्वपूर्ण त्योहारों में दिवाली का सबसे पहला स्थान माना जाता है। क्योंकि यह त्यौहार सभी के लिए ढेर सारी खुशियां और नई उमंगे लेकर आता है। दिवाली पर सभी अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलकर उन्हें शुभकामनाएं देते हैं।

लेकिन आजकल दिवाली का त्यौहार अपने साथ ढेर सारा प्रदूषण भी लेकर आता है। हम सभी जानते हैं, दिवाली पर पटाखे, केमिकल्स और प्लास्टिक का इस्तेमाल काफी बढ़ जाता है। जो लंबे समय तक प्रदूषण का कारण बनता है, लेकिन हम इस प्रदूषण से अपने एनवायरमेंट को बचा सकते हैं। इसीलिए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं, कुछ बेहद शानदार इको फ्रेंडली तरीके जिन्हें फॉलो करके आप खुद इको फ्रेंडली दिवाली मना सकते हैं।

मिट्टी के दीयों से सजाएं घर:-

अधिकतर दिवाली पर हम सभी अपने घरों को मोमबत्तियां और लाइट्स से सजाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं मोमबत्तियां पेट्रोलियम प्रदार्थ युक्त होती हैं जो वातावरण के लिए ठीक नहीं है। इसीलिए इस साल दिवाली पर एलईडी लाइट्स इस्तेमाल ना करके बिजली बचाएं और मिट्टी के दीयों को सजाएं।

इको फ्रेंडली रंगोली:-

भारत में सभी त्योहारों और खुशी के मौकों पर घर में रंगोली बनाई जाती है, रंगोली के रंग केमिकल द्वारा बनाए जाते हैं जो मिट्टी को प्रदूषित कर सकते हैं या दिवाली के बाद हवा में मिलकर प्रदूषण फैला सकते हैं। इसीलिए इस दिवाली के त्योहार को यूनिक बनाने के लिए इको फ्रेंडली रंगोली बनाएं। इको फ्रेंडली रंगोली के लिए आप फूलों, रंगीन चावल के दाने, आटे और हल्दी का प्रयोग करके बना सकते हैं।

पटाखे:-

अधिकतर लोग दिवाली पर हजारों रुपए पटाखों पर खर्च कर देते हैं, लेकिन इन महंगे-महंगे पटाखों की कुछ देर की धूमधाम पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा सकती है। पटाखे पर्यावरण के लिए नुकसानदायक होने के साथ-साथ कई बार बड़ी दुर्घटनाओं का कारण भी बनते हैं। इसीलिए इस दिवाली पटाखों को घर में ना लाएं और उस वक्त में बच्चों को दिवाली का सही महत्व समझाएं।

इस दिवाली कुछ हट कर दें गिफ्ट्स:-
दिवाली पर सभी लोग अपने परिवार और दोस्तों को अच्छे-अच्छे गिफ्ट्स देते हैं, जिसके कारण प्लास्टिक बैग्स का इस्तेमाल बड़े स्तर पर होता है। इस दिवाली को इको फ्रेंडली बनाने के लिए आप पेपर बैग्स का ही इस्तेमाल करें और दूसरे लोगों को भी जागरूक करें।

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