17th International Cooperative Day: अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह 17वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली के प्रगति मैदान पहुंचे। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि पिछले 75 साल में बिना सहकारिता मंत्रालय के कोऑपरेटिव के काम को आगे बढ़ाने में कठिनाई आती थी। पीएम मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में एक अलग सहकारिता मंत्रालय बनाकर इसे मजबूती देने का काम काम किया।
75 साल से चल रही थी सहकारिता बनाने की मांग
सहकारिता आंदोलन हमारे देश में लगभग 115 वर्ष पुराना है। आजादी के बाद से सहकारिता क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की प्रमुख मांग थी कि सहकारिता मंत्रालय को अलग बनाया जाए। अलग सहकारिता मंत्रालय बनाने की मांग 75 साल से चल रही थी। जब पीएम मोदी दूसरी बार पीएम बने तो एक स्वायत्त सहकारिता मंत्रालय बनाया गया।
बनाए गए नए नियम
सहकारिता मंत्री ने कहा कि ‘कंपनियों के साथ सहकारी संगठनों की तुलना नहीं की जाती थी। इससे टैक्स को लेकर विवाद बढ़ गया। पीएम मोदी ने वित्त मंत्रालय को इस समस्या को सुलझाने का निर्देश दिया। एक ही झटके में 15 हजार करोड़ रुपये के टैक्स विवाद सुलझा लिए गए। आगे से ऐसी कोई समस्या नहीं आए, इसके नियम बनाए गए।’
पीएम के नेतृत्व में सहकारी के क्षेत्र में हुए ढेर सारे परिवर्तन
अमित शाह ने कहा कि ‘स्वतंत्र मंत्रालय बनने से प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन से और एक स्वतंत्र मंत्री और सचिव सहित स्वायत्त मंत्रालय बनने से सहकारिता मंत्रालय और सहकारी के क्षेत्र में ढेर सारे परिवर्तन संभव हुए हैं और आगे भी परिवर्तन होते रहेंगे। मैं सहकारिता के साथियों से कहना चाहता हूं कि इस आंदोलन ने देश को अब तक बहुत कुछ दिया है। इस सदी में हमने ढेर सारी उपलब्धियां हासिल की हैं। ऋण वितरण की अर्थव्यवस्था में लगभग 29 फीसदी हिस्सा सहकारी आंदोलन का है। उर्वरक वितरण में 35 फीसदी, उर्वरक उत्पादन में 25 फीसदी, चीनी उत्पादन में 35 फीसदी से अधिक, दूध की खरीद, बिक्री और उत्पादन में सहकारिता का हिस्सा 15 फीसदी को छू रहा है।’