जिसने भगवती की पूजा कर ली, उसने तैंतीस करोड़ देवताओं की पूजा कर ली: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, तीनों लोकों पर महिषासुर का शासन था। दानवेंद्र महिषासुर देवेंद्र इंद्र बनकर 100 वर्ष तक शासन किया। बड़ी क्रूरता पूर्वक शासन करता था, देवता-मानव- नाग लोक के जीव सब दुखी थे। तब समस्त देवताओं की एक बैठक हुई और चिंतन चल रहा था कि इस संकट का समाधान कैसे हो। यह महिषासुर पुरुष मात्र से अबध्य है और कौन देवी है जो महिषासुर को मार सकती है? तब भगवान शंकर ने कहा कि सभी देवता एक-एक या दो-दो करके लड़े लेकिन फिर भी उन्हें सफलता नहीं मिली। भगवान भोलेनाथ सभी देवताओं को उपाय बताते हुए कहते हैं कि- आप ऐसा करें कि सारे देवता अपनी शक्ति प्रगट करें और उसको इकट्ठा कर लें और आप सभी की वह शक्ति एक देवी का रूप धारण कर ले, तब महिषासुर मारा जा सकता है अन्यथा कोई उपाय नहीं है।

 

जैसे- एक भारी लकड़ी को एक व्यक्ति उठा रहा है, नहीं उठ रही है, फिर दो व्यक्ति उठायेंगे, फिर तीन, चार, पांच, छः, जब मनुष्यों की शक्ति लकड़ी के भार से ज्यादा हो जायेगी तब लकड़ी उठ जायेगी। सारे देवता अपनी शक्ति लगाकर एक देवी को प्रकट करें और वह भगवती देवी का रूप धारण करके सबकी शक्ति सहित उसमें महिसासुर का वध करेगी। इसीलिए संत महापुरुष कहते हैं कि- कलियुग में सब इकट्ठे होकर कीर्तन किया करें, अकेले बैठ करके माला जपने से नींद आने लगेगी, अकेले पाठ करने में आलस्य आ जायेगा सब मिलकर कीर्तन करोगे, तब चेतना बनी रहेगी।

जब अनेक शक्तियां एकत्रित होती हैं, तभी महिषासुर मरता है। हमारे-आप सबके अंदर महिषासुर विद्वान है, जिसको मारने के लिए भगवती से प्रार्थना कीजिए- हे माँ! हे ज्योतिस्वरूपा ! हे कल्याणमयी! हे करुणामयी जगदम्बे !! जैसे- आपने प्रकट होकर महिषासुर को मारा है, हमारे अंदर के अज्ञान रूपी महिषासुर को मारकर, हमारे अंदर ज्योति जला दीजिये। हे मां! हम आपके चरणों में बार-बार प्रणाम करते हैं। जिसने भगवती की पूजा कर ली, उसने तैंतीस करोड़ देवताओं की पूजा कर ली। क्योंकि सभी देवताओं के तेज से भगवती का दिव्य विग्रह बनता है। जैसे – समुद्र में स्नान करने से सारे नदियों के स्नान का फल मिल जाता है, क्योंकि सारी नदियां जाकर समुद्र में मिलती है। इसी प्रकार समग्र देवताओं की ज्योति से मां का दिव्य स्वरूप बनता है। मां की उपासना कर लेने से समग्र देवताओं की उपासना स्वयं सिद्ध हो जाती है।

सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा,(उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *