पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, नवरात्रि व्रत कैसे करना चाहिए? इसका वर्णन श्रीमद्देवीभागवत महापुराण में किया गया है। नवरात्रों में मां का विशेष पहरा होता है। चैत्र और आश्विन के नवरात्रों में दिन-रात प्रायः बराबर होते हैं। दिन और रात का एक समान होना विष-योग होता है। उन दिनों जो ज्यादा खाते-पीते हैं, वे पूरे साल बीमार रहते हैं । और जो व्रत करके मां की आराधना करते हैं, वह पूरे साल स्वस्थ रहते हैं। शरत्काले महापूजा क्रियते या च वार्षिकी। पराम्बा भगवती ने घोषणा पूर्वक कहा है कि जो व्यक्ति शरत्काल में, नवरात्रों में मेरा पूजन करेंगे और हृदय खोलकर मेरी सेवा करेंगे, मैं सदा उनके साथ रहूंगी।
सान्निध्यं तत्र स्थितिः। और वह व्यक्ति ‘ सर्वा बाधाविनिर्मुक्तो ‘ सब बाधाओं से मुक्त रहेगा। ‘ धनधान्य सुतान्वितः ‘ उसके घर में किसी चीज की कमी नहीं रहेगी, ‘ मनुष्यो मत्प्रसादेन ‘ मेरी कृपा से मनुष्य को सब कुछ मिलेगा। ‘ न संशयः ‘ इसमें किसी प्रकार का संशय नहीं करना। ‘ नात्र संशयः ‘ यदि आप भजन-पूजन करते हैं, लेकिन फिर भी आपके मन में संशय है, तब आपको सफलता नहीं मिलेगी। और यदि संशय नहीं है, तब कोई कमी नहीं रहेगी। कुछ लोग ऐसे हैं जो भजन छोड़ते नहीं और उनके विश्वास में भी कमी नहीं है, माँ उनके सब भंडार भर देती है और उनके सब काम अपने-आप होते हैं।
सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग,गोवर्धन, जिला-मथुरा,(उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।