बाइपोलर डिसऑर्डर की समस्या को इन लक्षणों से पहचानें…

हेल्‍थ। किशोरावस्था में कदम रखने के बाद बच्चे की लाइफ में काफी उतार-चढ़ाव आते हैं, जिससे उनका व्यवहार भी प्रभावित होने लगता है। अगर यह समस्या बार-बार और अधिक हो रही है तो हो सकता है कि वह बाइपोलर डिसऑर्डर का शिकार हो। बाइपोलर डिसऑर्डर में मूड स्विंग होता रहता है। इसमें डिप्रेशन भी महसूस होता है। एक पल मूड काफी अच्छा रहता है तो दूसरे ही पल किशोर का मूड खराब हो सकता है।

ऐसी स्थिति में हो सकता है किशोर का हर चीज से इंटरेस्ट गायब हो जाए। कई बार तो वो काफी इरिटेट हो सकते हैं। इससे उनकी नींद, उनका व्यवहार और एनर्जी आदि में बदलाव देखने को मिल सकते हैं। आइए जानते हैं बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण और उपचार-

बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण:-
इस समय एक बार किशोर को खुशी तो अगले ही समय दुख का मौसम छाया हुआ महसूस हो सकता है। दूसरे स्टेज में खुशी कम और केवल दुख ही महसूस होता रहेगा। ऐसे में ड्रग्स और शराब की ओर जाने का मन कर सकता है। कई बार बच्चे को अस्पताल तक में भर्ती करवाने की जरूरत पड़ जाती है। हालांकि ऐसा कम ही केसेस में होता है। जब बाकी इलाज फेल हो जायें और बच्चे को किसी भी दवाइयों से फर्क महसूस नहीं हो तब हॉस्पिटलाइजेशन की नौबत आती है।

बाइपोलर डिसऑर्डर के कारण:-

जब बच्चे के दिमाग में फिजिकल बदलाव देखने को मिलता है तो बाइपोलर डिसऑर्डर जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं। कई बार जेनेटिक्स के कारण भी ऐसा होता है।

बाइपोलर डिसऑर्डर के उपचार:-

शुरुआत में डॉक्टर किशोर को दवाइयां दे सकते हैं। जिससे उनका मूड थोड़ा स्थिर रह सके और वह ज्यादा उदासी महसूस न कर पाएं। कई बार इस डिसऑर्डर को ठीक करने के लिए लंबे समय के उपचार की भी ज़रूरत पड़ जाती है। इसलिए लगातार उपचार जारी रखना चाहिए।

 

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