नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने खरीफ सीजन को लेकर भी किसानों को राहत दी है। खरीफ की 17 प्रकार के फसलों के न्यूनतम मूल्य में बढ़ोतरी की गई है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और उत्पादन बढ़ाने का प्रोत्साहन मिलेगा।
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्डलीय समिति की बैठक में चालू फसल वर्ष के लिए सभी तयशुदा खरीफ फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि को मंजूरी दी गयी है। दलहनी और तिलहनी फसलों के एमएसपी में तीन सौ से लेकर 523 रुपये
प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गयी है। इससे दलहन और तिलहन की खेती को बढ़ावा मिलेगा और उत्पादन बढ़ने से दाल और खाद्य तेलों के मामले में देश आत्मनिर्भर हो सकेगा। धान की एमएसपी में सौ रुपये जबकि अरहर और उड़द की एमएसपी में तीन सौ रुपये प्रति
क्विंटल की बढ़ोतरी की गयी है। सरकार ने इसके पूर्व भी उर्वरकों की सब्सिडी बढ़ाकर किसानों को बड़ी राहत दी थी। किसानों की सम्पन्नता और खुशहाली में ही देश की सम्पन्नता और खुशहाली है, क्योंकि हमारे देश की अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान है, इसलिए खेती
और किसान दोनों की बेहतरी होनी चाहिए। फसलों के समर्थन मूल्य में वृद्धि से निःसन्देह उनको फायदा होगा लेकिन इसका बोझ आम आदमियों को ही उठाना होगा। इस भीषण महंगी के दौर में उनका खर्च बढ़ेगा, इस पर भी सरकार को विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
प्रयास यह होना चाहिए कि किसानों का लागत मूल्य घटे और इन्हें अधिक फायदा हो और उपभोक्ता भी राहत की सांस ले सकें। कोरोना काल में सबसे मददगार रहे किसानों के लिए ठोस रणनीति नहीं होने से उनकी खेती की लागत बढ़ी है।
केवल समर्थन मूल्य बढ़ाने से उनकी आय दो गुनी होने वाली नहीं है। सरकार को समर्थन मूल्य के साथ कृषि लागत घटाने के लिए भी ठोस उपाय करने होंगे।